चाय और चाय के बगान | Chai ke Bagaan

Chai ke Bagaan: ठंडी हवाएं , आड़े तिरछे रास्तों के बीच चाय की झाड़ियों से तेजी से पत्ते चुनतीं युवतियां और मनमोहक महक चाय बागानों की खासियत है । तो इस बार करते हैं चाय बागानों की सैर

‘ एक कली दो पत्तियां , नाजुक – नाजुक उंगलिया ।

तोड़ रही हैं कौन ये . एक कली दो पत्तियां ।। ‘

यह गाना असम के सुप्रसिद्ध कवि और गायक भूपेंद्र हजारिका ने चाय बागानों के संदर्भ में लिखा है जो इन चाय बागानों की खूबसूरती को बयां करता है ।

अगर आप पर्यटन का अलग अंदाज पसंद करते हैं तो इस बार आपको ले चलते हैं चाय बागानों की सैर पर ।

यहां आपको ढेर सारी कड़क , गर्म और मॉल्टी टी तो मिलेगी ही , साथ ही आप चाय की शैंपेन , हिमालय के सूरज के रंग वाली चाय का मजा भी ले सकते हैं और वो भी सैर के साथ ।

चाय प्रेमियों के साथ औरों को भी आनंद में डुबो देने वाले चाय बागानों की सैर का मजा ही कुछ और है।

कुछ चाय के बगान | chai ke bagan

स्वाद व नजारों का संगमः

चिलचिलाती गर्मी और महानगर की आपाधापी से मन ऊबा तो हमने लंबी यात्रा का मन बनाया । पूर्वी हिमालय की गोद में बसे दार्जिलिंग से बेहतर कोई स्थान नहीं हो सकता ।

दार्जिलिंग की गिनती विश्व के सबसे खूबसूरत पर्वतीय पर्यटन स्थलों में की जाती है । दार्जिलिंग की यात्रा का खास आकर्षण हरे भरे चाय के बागान हैं । चाय बागान में सुबह सैर करने का अलग ही मजा है ।

दार्जिलिंग चाय दुनिया की सबसे महंगी और खुश्बूदार चाय मानी जाती है । यहां वर्ष 1956 में चाय की खेती ने जोर पकड़ा और अब इस पर्वतीय इलाके ऐसे करीब 86 बागान हैं जहां चाय तैयार की जाती है ।

हजारों लोग इन पत्तियों को चाय के बागानों (Chai ke Bagaan) से चुनकर कारखानों तक पहुंचाते हैं चाय की पत्तियां कैसे चुनी जाती हैं यहां आसानी से देखा जा सकता है ।

तीन फुट ऊंचे झाड़ीनुमा पौधों के बीच काम करते स्त्री – पुरुष किस तेजी से सही पत्ती चुनकर , पीठ पर लटकी टोकरी में डालते रहते हैं , जो देखने वाला नजारा होता है ।

चाय के ये जहां दार्जिलिंग के पहाड़ी सौंदर्य में गहरा हरा रंग भरते हैं , वहीं यहां की अर्थव्यवस्था में भी इनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान है ।

आज यहां की उपज ( दार्जिलिंग चाय ) दुनिया भर में प्रसिद्ध है इनमें चाय की कई किस्में पैदा की जाती हैं । दार्जिलिंग में कई चाय बागान (Chai ke Bagaan) हैं । इनमें से एक मकाईबारी भी है ।

यह भारत का पहला ऑर्गेनिक चाय उत्पादक और टी टूरिज्म का पायनियर है । कुर्सियांग के निकट कैसल्टन टी एस्टेट की चाय तो इतनी उच्च गुणवत्ता की होती है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उसकी कीमत दस हजार रुपये प्रति किलोग्राम को भी छू चुकी है ।

हरे – भरे सिन्नोमोरा चाय बागान | Cinnomora tea plantaion(bagan)

Chai ke Bagaan

सिन्नोमोरा जोरहाट का पहला चाय बागान (Chai ke Bagaan) है जो चाय के लिए काफी प्रसिद्ध है । सिन्नोमोरा चाय बागान में वर्ष 1850 से कामकाज शुरू हुआ था । चोटी पर स्थित सुरम्य चाय के बागान हरे – भरे हैं ।

बागान में चाय की छोटी – छोटी झाड़ियों से गुजरते हुए सैर की जा सकती है । अगर आप जानना चाहते हैं कि चाय कैसे बनाई जाती है , उसे कैसे उगाया जाता है आदि ,

तो सिन्नोमोरा चाय बागान सबसे अच्छा स्थान है जहां आप ये सब देख सकते हैं और जान भी सकते हैं । आप यहां आकर काम करने वाले खुशदिल लोगों से बातचीत कर सकते हैं और उनसे काफी कुछ सीख भी सकते हैं तथा साथ ही इस काम की कठिनाईयों के बारे में भी जान सकते हैं ।

सिन्नोमोरा चाय बागान , जोरहाट शहर के केंद्र से लगभग 10 किमी . की दूरी पर स्थित है । चाय के बागान (Chai ke Bagaan) तक पहुंचने के लिए , पर्यटक कैब्स किराए पर ले सकते हैं जो शहर से आसानी से उपलब्ध होती है ।

वैसे , शहर से नियमित अंतराल पर सार्वजनिक परिवहन की बसें भी मिलती हैं जो सिन्नोमोरा चाय बागान तक पहुंचा देती है ।

पालमपुर की कांगड़ा टी | Palampur kangra tea bagan

सर्दी हो या गमी , पालमपुर हर मौसम में सैलानियों को आकर्षित करता है । इस क्षेत्र में जल की कोई कमी नहीं है । हर ओर जल – स्रोत , झरने और नदियां मौजूद हैं ।

शायद इसीलिए यहां की हवाओं में शीतलता के साथ नमी भी है । हवाओं की यह नमी और पहाड़ी ढलानों पर खुलकर पड़ती सूर्य की किरणों का मिला – जुला रूप यहां की जलवायु को एक विशिष्टता प्रदान करता है ।

एक ऐसी विशिष्टता जो चाय की खेती के अनुकूल है । आज पालमपुर शहर बड़े – बड़े चाय बागानों के मध्य ही बसा है । यहां आने वाले पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण ये हरे – भरे चाय के बागान हैं ।

पैदल घूमते हुए मार्ग के दोनों और दूर – दूर तक चाय के झाड़ीनुमा पौधे और उनमें पत्तियां चुनते लोग एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते हैं । कमर पर लंबी – लंबी टोकरी बांधे ये लोग अपने काम में व्यस्त रहते हैं ।

कुछ पर्यटक भी इन बागानों के मध्य घूमते पहुंच जाते हैं , जो अपने आप में अलग ही अनुभव होता है । शहर के विशाल चाय बागानों (Chai ke Bagaan) के कारण पालमपुर उत्तर पश्चिमी भारत की चाय राजधानी के रूप में जाना जाता है ।

कई एकड़ भूमि में फैले ये चाय के बागान (Chai ke Bagaan) इस क्षेत्र के अनेक स्थानीय लोगों की जीविका का साधन हैं । खास बात यह है कि चाय के सभी ब्रांडों के नाम संगीत के रागों पर आधारित हैं ।

यहां पर पैदा होने वाली चाय की किस्म कांगड़ा – चाय सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है । यह चाय सिर्फ इसी इलाके में होती है । यहां की चाय बाजार में दरबारी , बागेश्वरी , बहार और मल्हार के नाम से बेची जाती है ।

असम का गौरव चाय बगान |Asam ka gourav tea bagan

Chai ke Bagaan

चाय बागान : चाय बागान (Chai ke Bagaan) असम का गौरव हैं । असम – चाय स्वाद और रंग के लिए प्रसिद्ध है । चाय के इन बागानों में पर्यटकों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है और चाय इस्टेट जनता को देखने के लिए खोल दिया जाता है ।

राष्ट्रीय उद्यान के पास सबसे प्रमुख चाय बागानों में मेठोनी , हथखुली , दिफलु , बोर्चापोरी और बेहोरा चाय बागान हैं । पर्यटकों को इन चाय बागानों का दौरा करना चाहिए ।

पहाड़ियों पर नीचे आती हुई लहरदार हरी भरी छोटी झाड़ियों का दृश्य हर किसी को जीवन में एक बार देखना चाहिए ।

यद्यपि इन चाय बागानों (Chai ke Bagaan) की यात्रा आप एक दिन में कर सकते हैं , लेकिन फिर भी चाय के कुछ बागानों में रात को ठहरने की सुविधा होती है ।

कुछ दिनों के लिए राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले पर्यटकों के लिए , एक चाय बागान में एक रात बिताने का आफर भी चल रहा है ।

तो आप चाहें तो इन बागानों में रात बिता सकते हैं ज्यादातर चाय के बागानों में घूमने में कोई मुश्किल नहीं होती क्योंकि मालिक चाहते हैं कि लोग चाय बागानों की सैर करें ताकि असम के चाय बागानों की चर्चा दूर – दूर तक हो ।

कॉफी का मजा ले कुर्ग में | Coffee plantation

Chai ke Bagaan

अगर आप चाय के बागानों (Chai ke Bagaan) के साथ कॉफी प्लांटेशन देखने का मन बना रहे हैं तो आपको कर्नाटक के कुर्ग जाना चाहिए ।

आईटी हब बेंगलुरु से कुर्ग की दूरी 5 घंटे की है । यहां के धुंध से ढके कॉफी बागान एक अलग ही छटा बिखेरते हैं आज भी कॉफी को लेकर लोगों का ज्ञान थोड़ा अधूरा है ।

ऐसे में यहाँ आप यह जान सकते हैं कि कॉफी बीन्स का बागान से आपके कप तक का सफर कितना दिलचस्प होता है ।

कुर्ग को इंडिया का स्कॉटलैंड भी कहा जाता है यहां की ग्रीनरी ऐसी है कि एक बार देखा तो नजरे हटाने का मन नहीं करता ।

ग्रीन फॉरेस्ट से लेकर टॉल हिल्स बहुत ही आर्कषक हैं अगर यहां पीसफुल और बेहद खूबसूरत जगह जाना चाहते हैं तो कावेरी नदी का तट इसके लिए बेहतर होगा ।

इरुप्पू , अब्बे , मलाली और अब्बी फॉल्स जैसे कई खूबसूरत वॉटरफॉल्स हैं । यहां की सैर के लिए ‘ बीन टू कप प्लांटेशन गाइडेड टूर ‘ चुनें और कॉफी के साथ अपनी दोस्ती निभाएं ।

नजदीक ही इरपु जलप्रपात है तथा तीर्थस्थल तालकावेरी भी है और शहरी शोर – शराबे से दूर बौद्ध नगरी बायलाकुपे भी पास ही है । इन सब जगहों की सैर करें काफी के कप के साथ ।

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