गिर नेशनल पार्क | Gir National Park in Hindi
गिर नेशनल पार्क | Gir National Park in Hindi
गिर नेशनल पार्क (Gir National Park) भारत के गुजरात राज्य में लगभग 1424 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है । इस वन्य अभ्यारण्य में अधिसंख्य मात्रा में पुष्प और जीव – जन्तुओं की प्रजातियां मिलती है ।
गिर नेशनल पार्क में क्या क्या है | Gir National Park me kya kya hai
यहां स्तनधारियों की 38 प्रजातियां , सरीसृप वर्ग की 37 प्रजातियां और कीड़ों – मकोड़ों तथा पक्षियों की भी सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं ।
दक्षिणी अफ्रीका के अलावा विश्व का यही ऐसा एकलौता स्थान है , जहां शेरों को अपने प्राकृतिक आवास में रहते हुए देखा जा सकता है ।
‘ जंगल के शेर ‘ के लिए अंतिम आश्रय के रूप में गिर नेशनल पार्क , भारत के महत्वपूर्ण वन्य अभ्यारण्यों में से एक है ।
गिर नेशनल पार्क कब बना था | Gir National Park kab bana tha
गिर नेशनल पार्क (Gir National Park) को सन् 1969 में वन्य जीव अभ्यारण्य बनाया गया । 6 वर्षों बाद इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित कर दिया गया यह अभ्यारण्य गुजरात राज्य के दो जिलों जूनागढ़ व अमरेली तक विस्तृत हो चुका है । सूखे पताड़ वाले वृक्षों , कांटेदार झाड़ियों के अलावा हरे- भरे पेड़ों से समृद्ध ‘ गिर का जंगल ‘ गोदावरी व हीरण्य नदी के किनारे बसा हुआ है । सूखे व अकाल की स्थिति में रामेश्वर बांध इस वन क्षेत्र की लाईफ लाईन सिद्ध होता है ।
यहां के मुख्य वृक्षों में सागवान , शीशम बबूल , बेर , जामुन , बील आदि प्रमुख हैं ।भारत के सबसे बड़े कद का हिरण , सांभर , चीतल , नीलगाय , चिंकारा और बारहसिंगा को भी यहां देखा जा सकता है ।
साथ ही यहां और बड़ी पूंछ वाले लंगूर भी भारी मात्रा में पाए जाते हैं । कुछ ही लोग जानते होंगे कि गिर भारत का एक अच्छा ‘ पक्षी अभ्यारण्य ‘ भी है ।
यहां फलगी वाला बाज , कठफोडवा , एरीओल , जंगली मैना और पैराडाईज फलाईकेचर को भी देखा जा सकता है । साथ ही यह अधोलिया , वालडेरा , रतनघुना और पीपलिया आदि पक्षियों को भी देखने के लिए उपयुक्त स्थान है।
यहां पर गिद्ध , बाज व उल्लुओं की कई प्रजातियां हैं । एशियाई शेरों की अंतिम शरणस्थली के रूप में मशहूर गिरवन राष्ट्रीय उद्यान को देखने का अपना अलग रोमांच है ।
शेरों की मस्ती और दहाड से गूंजते गिर में वन्य जन्तुओं की एक सजीव दुनिया आबाद है । गुजरात के जूनागढ़ जनपद में स्थित गिर के हरे – भरे जंगल रहस्यमय लगते हैं
और लहराती हुई हरियाली मन पर जादू – सा असर छोड़ जाती है । किसी जमाने में गिर के घने जंगल जूनागढ़ के नवाबों के प्रसिद्ध शिकारगाह थे ।
नवाब और उनके यार – दोस्तों में शेरों के शिकार की होड़ – सी लगी रहती थी बड़ी संख्या में शेरों का शिकार करने के कारण सन 1900 में यहां सिर्फ 100 शेर बचे थे ।
कहते हैं कि जूनागढ़ के नवाब के निमन्त्रण पर तत्कालीन भारत के वायसराय लार्ड कर्जन भी शेरों का शिकार खेलने के उद्देश्य से जूनागढ़ गये थे ।
इसी दौरान कुछ स्थानीय समाचार पत्रों में एक गुमनाम पत्र छपा , जिसमें लुप्तप्रायः शेरों के आखेट के औचित्य को चुनौती दी गई थी ।
इस पत्र को पढ़कर लार्ड कर्जन ने शिकार का इरादा बदल दिया और जूनागढ़ के नवाब से शेरों को संरक्षण देने का आग्रह किया । गिर के जंगलों में शेर एवं अन्य वन्य जन्तुओं के संरक्षण शेर मारे जा चुके थे ।
कहानी यहीं से शुरू होती है । इससे पहले गिर को छोड़कर सभी एशियाई दुनिया भर में , जहां सरंक्षित वन्य जीवों की संख्या लगातार घट रही है , वहीं गुजरात में एशियाई शेरों की संख्या में काफी बढोत्तरी हुई है ।
गुजरात के इस गिर अभ्यारण (Gir National Park) और आस पास के इलाकों में शेरों की गिनती का काम पूरा हो चुका है और नतीजे काफी उत्साहजनक आए हैं । पिछले तीस सालों में गिर के शेरों की संख्या दुगुनी हो गई है ।
नई गणना के अनुसार यहां 463 शेर विचरण करते हैं सबसे तेज दौड़ने वाला मृग भी गिर में ही पाया जाता है । यहां लगभग 300 तेंदुए हैं । दुनिया का एकमात्र चौसिंघा हिरण भी यहीं पाया जाता है ।
लकड़बग्घा , पीली साही ( सेह ) स्टार कछुआ , पहाड़ी अजगर और पानीटर छिपकली आदि जीव – जंतु यहां बहुतायत में पाए जाते हैं । बिज्जू , जिसके बारे आम अफवाहें सुनने को मिल जाती हैं , यह भी इन्हीं जंगलों में पाया जाता है ।
गिर (Gir National Park) को पश्चिमी भारत का सबसे अच्छा पक्षी विहार भी जाना जाता है । यहां पर कलंगी वाले गरूड़ , रंगीन सारस व सीटी बजाती हुई मालाबार चिड़िया , पैराडाईजर फ्लाईकैचर को भी देखा जा सकता है ।
यहां पर आप नीग्रो कबीले के लोगों को भी देख सकते हैं यह एक प्रकार की आदिवासी वर्ग में है , जो प्रायः दक्षिण अफ्रीका के कबीलों में पाई कम ही जगह नीग्रो रहते हैं जूनागढ़ में गिर अभयारण्य के जाती है ।
वर्तमान में देश में बहुत करीब ये मालधारी कबीला रहता है । इनकी भाषा , जीवन शैली आदि आदिवासियों की तरह ही है । यह खतरों में रहने वाला समुदाय है ।
गिर नेशनल पार्क कब जाना चाहिए | Gir National Park kab jana chahiye
गिर नेशनल पार्क (Gir National Park) जाने के लिये 15 अक्टूबर से 15 जून का समय उपयुक्त है । मानसून और वन्य प्राणियों के प्रजनन का समय होने के कारण उद्यान 15 जून से 15 अक्टूबर के बीच पर्यटकों के लिये बन्द रहता है ।
गिर नेशनल पार्क कैसे जाएँ | Gir National Park kaise jaye
गिर नेशनल पार्क (Gir National Park) के लिये सड़क , रेल और हवाई सेवा उपलब्ध है । निकटतम हवाई अड्डा ‘ केशोड ‘ यहां से मात्र 31 किलोमीटर दूर स्थित है ।
सड़क मार्ग : – सड़क मार्ग द्वारा यह उद्यान जूनागढ़ से 60 कि.मी. और अहमदाबाद से 342 कि.मी. दूर है ।
रेल मार्ग : – जूनागढ़ के लिए आप अहमदाबाद या राजकोट से रेल यात्रा कर सकते हैं ।
कहां ठहरें : गिरवन में रहने और खाने – पीने की उपयुक्त व्यवस्था है । दो वन – विश्रामगृह और भारतीय पर्यटन विकास निगम के होटल में ठहरने की उत्तम व्यवस्था है ।
गिर नेशनल पार्क के दर्शनीय स्थल | Gir National Park ke best places
शेर गिर नेशनल पार्क (Gir National Park) का पहला आकर्षण है भारत गिरवन और अफ्रीका के जंगलों के अलावा ये शेर और कहीं नहीं पाये जाते ।
हिरण्य नदी के तट पर स्थित गिरवन में पानी का शेर घडियाल प्रजनन केन्द्र भी है ।
शेर और घड़ियालों के अतिरिक्त गिर के जंगलों में लकड़बग्घा , सांभर , नीलगाय , चीतल , चौसिंगा , जंगली सुअर और कभी – कभार तेंदुए भी देखे जा सकते हैं
गिर (Gir National Park) में प्रवेश करने के लिए सिंह सदन ओरिएंटेशन सैंटर से पास प्राप्त करना जरूरी होता है , जो सुबह 7 बजे से 11 बजे तक और दोपहर बाद 3 बजे से शाम 5.30 बजे तक खुला रहता है ।
यहां पर 35-40 कि.मी. लंबा ड्राइविंग मार्ग बनाया गया है , जहां आप गाड़ी में बैठकर इस वन्य क्षेत्र का नजारा ले सकते हैं इस उद्यान के लिए प्रवेश शुल्क है , जो भारतीयों व विदेशियों के लिए अलग – अलग है ।