लेह लद्दाख है भारत का गौरव | Leh Laddakh Tourist place in Hindi

Leh Laddakh Tourist place in Hindi:- विविधाओं से भरा भारत देश सदैव विदेशी पर्यटकों को आकृष्ट करता रहा है । हैदराबाद , मुम्बई , कालीकट , लखनऊ , आगरा , जयपुर जैसे महानगर , अयोध्या , मथुरा , पुरी द्वारका , उज्जैन , नासिक , श्री अमृतसर साहिब जैसे तीर्थ

और टाटानगर , झांसी भिलाई , भोपाल , भुवनेश्वर , मद्रास जैसे औद्योगिक और व्यापारिक केन्द्र तो अपनी विशेषताओं से देशी – विदेशी पर्यटकों का मन मोह लेते हैं लेकिन लेह लद्दाख (Leh Laddakh Tourist place) अपनी भौगोलिक स्थिति और मौलिक संस्कृति के कारण विशेष रूप से पर्यटकों को आकर्षित करता है ।

अपनी निज की भावना , पहनावा , सरलता , ईमानदारी , मेहनत और वीरता के लिए लद्दाखी जग – प्रसिद्ध हैं ।

लेह लद्दाख है घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह | Leh Laddakh Tourist place in Hindi

Leh Laddakh Tourist place
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सभ्यता के दौर में यद्यपि यहां के युवा – वर्ग ने आधुनिक फैशन व रहन सहन को अपना लिया , फिर भी इनकी सहजता और सरलता में कमी हीं आयी है और यही कारण है

लेह लद्दाख आने वाला हर यात्री चाहे देशी हो अथवा विदेशी , इन भोले भाले लोगों के बीच शांति और सुख की अनुभूति करता है तथा उसका इनसे लगाव हो जाता है ।

चारों तरफ ऊँची – ऊँची पर्वत मेखलाओं से घिरा और सौंदर्य से भरा भारतवर्ष के उत्तर में अवस्थित पर्वतीय क्षेत्र है लद्दाख ,

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जहां छ : सात माह तक हवाई मार्ग के अलावा अन्य किसी भी मार्ग द्वारा नहीं पहुंचा जा सकता । यहां के लोग मुस्कान के साथ पर्यटकों का आह्वान और स्वागत करते हैं ।

लद्दाख के मध्य में स्थित है लेह शहर जहाँ पहुँचते ही , आप यकीन नहीं करेंगे कि आप 15 हजार फीट की ऊँचाई पर दुर्गम हिमालय क्षेत्र में है । दुनिया भर की हर चीज यहां आपको मिल जायेगी ।

आन्ध्रप्रदेश की ताम्बे की मूर्तिया , नेपाल और चीन के इलेक्ट्रानिक सामान , श्रीनगर के कश्मीरी शॉल , भुसावल के केले और चण्डीगढ का सरसो का साग तथा शिमला मिर्च यहाँ आप बड़े शौक से खरीद सकते है ।

लेह लद्दाख वैसे एक ही स्थान का नाम है । लद्दाख क्षेत्र को कहा जाता है जबकि लेह एक शहर है । खोज ढूंढ करने पर आप पुराने लद्दाख के राजमहल तक पहुँच सकते है जो लेह से 8 किमी दक्षिण – पश्चिम में ‘ स्टॉक पैलेस ‘ के नाम से प्रसिद्ध है ।

Leh Laddakh Tourist place

Leh Laddakh Tourist place

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यहां पर 15 वीं सदी के लद्दाखी राजा व रानी के अस्त्र , शस्त्र , वस्त्र , बर्तन व जेवर इत्यादि सुरक्षित है । यहां हर साल मेला लगता है । लेह से कारू जाते हुये आपको दिखाई पड़ेगा ।

यहा शे – पैलेस है जहां भगवान बुद्ध की की है तथा मूर्ति ध्यानमुद्रा में है । परिक्रमा पथ में विशालकाय अत्यंत सुन्दर मूर्ति है ।

यह ताम्बे धातु गहन अधेरा है जो इस बात का प्रतीक है कि सारा संसार अंधकार में है और बुद्धि विवेक का साधक बुध के मस्तिष्क की तरह प्रकाश में है ।

बुहदखबू जाते समय लेह – झील का लुत्फ उठाया जा सकता है । उसके पहले ही पड़ेगा लेह एयर पोर्ट । रोड पर ठहरकर या चलते चलते वायुयान के चढ़ने उतरने का मजा लिया जा सकता है ।

काली मंदिर इसी मार्ग पर है । लोगों की मान्यता है कि 13 वी सदी में किसी हिन्दू राजा ने देवी की अर्चना कर अपनी प्रजा की रक्षा की थी । इसके पूर्व और पश्चात् यहां लद्दाख बौद्ध राजा का राज्य रहा

इसी मार्ग पर 20 किमी पर स्थित है कहते है । ‘ गुरुद्वारा पत्थर साहिब । सिख धर्म के प्रवर्तक गुरू नानक देव जी के संबंध में तथ्य है- ‘ गुरू नानक देव जी अपनी उत्तर भारत की यात्रा के दौरान यहां ध्यान कर रहे थे ।

तभी शैतान ने बड़ा सा पत्थर पहाड़ी के ऊपर से उनके ऊपर गिराया पर गुरुदेव के तपोबल से वह पत्थर वही रुक गया और बाद में उस स्थान पर पत्थर साहिब गुरुद्वारा बनाया गया ।

लद्दाखी उन्हें ‘ लामा – गुरू नानक ‘ शहर के उत्तर पश्चिम में शांतिमुद्रा ( शांति स्तूप ) है जहां कभी भगवान बुद्ध ने साधना की थी और भक्तों को दीक्षा दी थी ।

यह स्तूप जापान के सहयोग से निर्मित है । यह लद्दाखियों सहित चीनियों , नेपालियों व जापानियों की श्रद्धा का केन्द्र भी है ।

लेह शहर में पहुँचना हो तो गर्मी के मौसम में अप्रैल से अक्टूबर तक सोनामार्ग , गुमरी द्रास , कारगिल मार्ग और दूसरा कुल्लू – मनाली होकर बस अथवा जीप या कार द्वारा आ सकते हैं ।

खराब मौसम को छोड़कर वायु मार्ग बारहों महीने खुला रहता है । श्रीनगर , चंडीगढ और दिल्ली से वायुयान के द्वारा एक सवा घंटे के सफर से लेह पहुँचा जा सकता है ।

गर्मियों में यहां बसंत होता है । कुछ वर्ष पूर्व भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा यहां सिन्धु नदी के तट पर ‘ सिन्ध – दर्शन ‘ महोत्सव का आयोजन किया गया था ।

तब से देश विदेश के लोग यहां भारी तादाद में आने लगे है । यद्यपि यह जम्मू – कश्मीर का ही एक हिस्सा है फिर भी इसकी संस्कृति सम्पूर्ण देश से इसको अलग पहचान प्रदान करती है ।

आकाशवाणी लेह , कला संस्थान लेह और लद्दाखी भाषा संस्कृति और बौद्ध धर्म संस्थान तथा स्थान – स्थान पर बने अत्यंत कलात्मक ‘ माने ‘ ( पूजास्थल ) सबको आकर्षित करते हैं ।

सरकार और सेना द्वारा इसे सुरक्षा और सेवाएं प्रदान की जाती है । विद्यालय , अस्पताल , कैटीन , वायुयान तथा खाद्यान की सुविधा देकर भगवान शिव और भगवान बुद्ध की प्रजा को सुखी व समुन्नत बनाने का प्रयास किया जाता है ।

निःसन्देह लेह लद्दाख भारत की प्राचीन संस्कृति का संरक्षक और गौरव है । लेह लद्दाख की यात्रा के बिना भारत की यात्रा पूर्ण नहीं होती ।

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