जानिए मानसून की जानकारी | Monsoon ki Jankari

 मानसून की जानकारी (Monsoon ki Jankari) : जून के पहले सप्ताह से केरल से शुरूआत करके मानसून सितम्बर को देश से रूखसत हो जाता है । इन महीनों में देश के हर भाग में अपने कई तेवर दिखाता है मानसून ।

कहीं जल – थल एक कर देता है और कहीं बस नाम – मात्र और किसी क्षेत्र के लोग तो इसके लए तरसते रह जाते हैं ।

कुछ मानसून की जानकारी | Monsoon ki Jankari

मानसून की जानकारी

मौसम विभाग के अनुसार केरल में सामान्तय 1 जून को मानसून आ जाता है विशेषज्ञों के अनुसार 15 जुलाई तक यह पूरे देश में फैल जाता है।

देश में पूरे वर्ष होने वाली 80 फीसदी बरसात मानसून ही करता और जब यह कम होती है तो सूखे के हालात पैदा हो जाते हैं ।

क्योंकि देश की खेती 50 प्रतिशत मानसून पर निर्भर है जो कि देश की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा हिस्सा है । देश के सकल घरेलू उत्पाद दर में मानसून का 20 प्रतिशत योगदान है ।

मानसून का महत्वपूर्ण योगदान | Monsoon ki Jankari

देश में हरियाली को लाने वाला प्रतीक है यह । समस्त जीव प्राणी इसकी फुहारों से उछल पड़ते हैं । उमड़ते – घुमड़ते बादलों के समूह अति प्रिय लगते हैं । फिजा है मानसून ।

जन – जन की खुशहाली का में छाई काली घटाएं मयूर मन को नाचने पर मजबूर कर देती हैं । बच्चे , बूढ़े , नौजवान सब कूल – कूल बौछारों – फुहारों में भीग भीग कर मस्ती मनाते है ।

वर्षा ऋतु यानी बरसात । यह ऋतु बहुत ही मनभावन होती है । आकाश में जब घुमड़ घुमड़ कर घनघोर घटायें छा जाती है तो उस समय वातावरण कितना मोहक व सुहाना हो जाता है ।

रिमझिम – रिमझिम की मधुर ध्वनि और फुहारों के झोंके हमारे मन के मोर को नाचने के लिये मजबूर कर देते है बशर्ते हमारा शरीर स्वस्थ एवं मन प्रसन्न । हो ।

स्वास्थ्य संबन्धी

वर्षा में वर्षा के कारण पाचन शक्ति ऋतु कमजोर हो जाती है , इसलिये इस मौसम में खास देखभाल की आवश्यकता होती है । इस ऋतु में हल्का व शीघ्र पच जाने वाला आहार लेना चाहिये ।

भोजन खूब चबा कर खाना चाहिये जिससे भोजन ठीक से पच जाए । वर्षा काल में छिलके वाली मूंग की दाल का सेवन करना उत्तम , रोग प्रतिरोधक व शक्तिवर्धक है ।

Monsoon ki Jankari

सागसब्जी अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लायें । तोरई , लौकी , मेथी , बथुआ इत्यादि का सेवन करना चाहिये । फलों में आम व जामुन प्रमुख होते हैं ।

40 दिन तक सुबह – सिर्फ आम पेट भर खाने के बाद एक गिलास दूध पीने से शरीर हृष्ट – पुष्ट , सुडौल , शक्तिशाली और कांतिपूर्ण हो जाता है वर्षाकाल में गरिष्ठ , तले हुये , चटपटे स्वाद वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिये ।

ज्यादा से ज्यादा आहार , अधिक व्यायाम , रात्रि जागरण , वर्षा के पानी में भीगना और खुले आकाश में सोना आदि इन बातों का परहेज करें ।

सौंदर्य संबन्धी

बरसात में रंगीन कपड़े पहने ऐसे कपड़ों का चुनाव करना चाहिये जो गीले होने पर जल्दी सूख जायें । नॉयलान , सिंथेटिक आदि कपड़े ऐसे होते हैं जो जल्दी सूख जाते है ।

वर्षा के पानी से भीगने पर तुरंत कपड़े बदल ले । शरीर के जोड़ों वाले स्थान को साफ व सूखा रखें ताकि वहां दाद , खुजली आदि चर्म रोग उत्पन्न न होने पायें ।

वर्षा – काल में पैरों की देखभाल की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है । सड़कों पर सावधानी से चलने के बावजूद भी कभी – कभार पैर कीचड़ में घुस जाता है

गन्दगी नाखूनों में घुस जाती है , अतः पैरों के नाखूनों को काटते रहना चाहिये । बरसात में सैण्डिल या कपड़े के जूतों का उपयोग करना चाहिये ।

बरसात में किसी भी प्रकार का फाउन्डेशन या क्रीम का उपयोग न करें क्योंकि वर्षा में सब धुल जाता है और कहीं – कहीं रह जाने के कारण चेहरा भद्दा लग सकता है ।

लिपस्टिक गहरे रंग की होठों के कोरों पर लगायें , शेष हिस्सा खाली छोड़ दें । गीले बालों का जूड़ा नहीं बनाना चाहिये अन्यथा गीले बालों से सिर में फुसियां हो जायेगी ,

इसलिये एक मांग निकाल कर पोनीटेल बनायें जिससे बाल टूटेगे भी नही और जल्दी सूख भी जायेंगे । इन बातों को ध्यान में रखकर आप भी बरसात के मौसम का लुत्फ उठा पायेंगी ।

मानसून में खुद को बीमार होने से कैसे बचाएँ

मानसून की जानकारी

1) पानी को उबाल कर पीएं ताकि सभी हानिकारक कीटाणु व जीवाणु नष्ट हो जाएं अधिकतर लोगों को पानी उबालने का समय पता नहीं होता ।

पानी 20 मिनट अवश्य उबालें , इससे सूक्ष्म कीटाणु भी मर जाते हैं । अगर आप पानी नहीं उबाल रहे तो मिनरल वाटर या फिल्टर वॉटर का ही प्रयोग करें ।

अगर आप मिनरल वाटर बाहर से लेते हैं तो बोतलों की सील अवश्य चैक कर लें , कई बार मिनरल वाटर की जगह बोतलों में गंदा पानी ही भरा हुआ होता है

2) बाहर से व जूस , कटे फल सब्जियां न खाएं । लस्सी , नीबू पानी आदि भी बाहर सेन पीएं ।

3) बहुत ठंडे व बहुत गर्म पदार्थों का सेवन न करें । अधिक मिर्च मसाले युक्त भोजन न करें ।

4) खाना पकाने के पश्चात उसे गर्म – गर्म ही परोसें । ताजा खाना सुरक्षित होता है । बासी भोजन बिल्कुल न लें क्योंकि यह जल्दी खराब हो जाता है । घर के कूड़ेदान हमेशा ढंक कर रखें ताकि मक्खियां आदि न पनपें ।

5) कच्चे फल सब्जियां आदि खाते ध्यान रखें । फलों को छीलने के बाद तुरंत खाएं । अधिक पके हुए फल न खाएं क्योंकि इनमें कीटाणु व जीवाणु पनपते है ।

अगर छिलके वाले फल खा रहे हैं तो पानी से अच्छी तरह साफ करें । सलाद भी हुए विशेष बहुत पहले से कटा हुआ न खाएं ।

मानसून में किचन गार्डन को कैसे बनायें हरा भरा?

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वैसे तो मानसून में पौधों को पानी खूब मिल ही जाता है पर अति हर चीज की खराब होती है । कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिन्हें सीमित पानी चाहिए , कुछ ऐसे भी पौधे होते हैं जिन्हें अधिक और कुछ को कम पानी की आवश्यकता होती है ।

किचन गार्डन में कभी भी आवश्यकता से अधिक पौधे न लगायें क्योंकि अक्सर घरों के आंगन में इतना स्थान नहीं होता कि बहुत भीड़ अच्छी लगे । वर्षा में तो वैसे ही पौधे जल्दी बढते हैं ।

वर्षा से पहले ही सोच लें कि कौन सा नया पौधा लगाना है । उसे वर्षा प्रारम्भ होने से पहले लगवा लें ताकि वह अच्छी तरह से जड़ पकड़ सके ।

अपने किचन गार्डन को हरा भरा रखने के लिए सीजन के अनुसार पौधे लगाएं और कुछ पुराने पौधों को छोड़ दें । पुराने पौधों की साथ- साथ कांट – छांट करते रहें ।

कुछ प्लांटस ऐसे होते है जो हर सीजन में हरे रहते हैं , उन्हें अपने किचन गार्डन में जरूर स्थान दे , जैसे ऐलोवेरा , मनीप्लांट , गुलदाऊदी आदि ।

सीजन के अनुसार कुछ गमलों में या आंगन में कच्ची जमीन पर सब्जियां भी लगायें जो हरियाली के साथ रंग बिरंगे फल भी देंगी ।

वर्षा ऋतु से पहले ही जो सब्जियों के पौधे लगाने हों , टमाटर , भिंडी , बैंगन , तोरी , पुदीना आदि लगा लें ताकि वर्षा तक उनमें फूल पड़ने शुरू हो जाएं ।

अक्सर लोग सोचते हैं कि मानसून में पौधे यों ही बढ जाते हैं , पर ऐसा नहीं है । पौधों को वर्षा में न छोड़िये ।

अधिक पानी से पौधे सड़ भी सकते हैं और कुछ पूरी तरह से जड़ नहीं पकड़ पाते तो टूट कर गिर जाते हैं । पौधों को आवश्यकता से अधिक पानी न मिले ।

उन पर मलमल का कपड़ा बांध दें ताकि उन्हें तेज बारिश और धूप से बचाया जा सके ।

मानसून में बच्चो का कैसे रखे ध्यान?

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बारिश हम सभी को बहुत अच्छी लगती है , लेकिन यह एक ऐसा मौसम है , जिसमें तुम्हें अपना सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है ।

चाहे स्कूल हो या घर , बरसात के मौसम में जितनी ज्यादा सफाई और खाने का ख्याल रखोगे , उतनी ज्यादा मस्ती कर पाओगे ।

तो आइए जानें कुछ टिप्स , जिससे मानसून की मस्ती को कम किए बिना तुम किस तरह अपना ध्यान रख सकते हो।

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भरे हुए पानी से बचो

बारिश में हर जगह पानी भर जाता है । घरों के बाहर , सड़क के गड्ढों में हर जगह छोटी सी झील बन जाती है और तुम्हें उस भरे हुए पानी में नाव चलाना या पानी में छपछप करने में बड़ा मजा आता है ।

लेकिन ध्यान रहे कि ये भरा हुआ पानी बेहद खतरनाक होता है । बारिश के इसी पानी में मच्छर पनपते है और जिनके काटने से हमें मलेरिया , डेंगू जैसी खतरनाक बीमारियां हो जाती हैं ।

इससे भी डरावनी बात कि यह पानी बेहद गंदा होता है , सड़क की सारी गंदगी और यहां तक कि गटर का पानी भी कभी – कभी इसमें मिल जाता है , जिससे तुम्हें कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं ।

घर का खाना है सबसे अच्छा

बाहर का चटपटा खाना तुम सबको अच्छा लगता होगा , लेकिन बारिश के मौसम में घर में मम्मी के हाथ का बना खाना ही खाएं । बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा लोग बाहर का खाना खाने से ही बीमार पड़ते हैं ।

तुम जो भी खाना खाना चाहो उसे अपनी मम्मी से घर पर ही बनवाओ , क्योंकि बाहर खाने का मतलब है टाइफाइड जैसी बीमारियों को अपने पास बुलाना ।

दूध बिना नो मस्ती

बारिश के बाद तुम सबको ठंड तो जरूर लगती होगी और इस ठंडी से छुटकारा पाने के लिए एक गिलास गर्म दूध रोज सुबह और रात में पीना सबसे अच्छा तरीका है ।

अगर दिन में कभी भी तुम बारिश में भीगते हो तो घर आकर सबसे पहले कपड़े बदलो और फिर एक गिलास गर्म दूध थोड़ी – सी हल्दी मिला कर पीयो । ये तुम्हें सर्दी और खांसी से बचाकर रखेगा ।

चिड़ियों का मानसून

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तुम बरसात के इस मौसम में न जाने कितनी बार जब – तब भीगते होगे , कभी स्कूल से लौटते समय हो रही बारिश के पानी में , तो कभी अपने आसपास के मैदान में खेलते – कूदते समय ।

लेकिन तुम तो भागकर घर आ जाते हो , क्या तुमने कभी पक्षियों के बारे में सोचा है , जो इस बारिश में कैसे रहते हैं और क्या करते हैं ?

दरअसल , मौसम या वातावरण में किसी भी तरह के बदलाव का सबसे पहला असर पक्षियों पर पड़ता है जब बहुत बारिश हो रही होती है तो अधिकतर चिडियां अपने घोंसले से बाहर नहीं निकलती हैं ।

बारिश में पक्षियों की आवाज यानी कलरव वातावरण को एक अलग एहसास देता है । इन पक्षियों पर बारिश के मौसम में खतरे भी कम नहीं हैं ।

कई बार ओलावृष्टि से इनकी मौत हो जाती है , कई बार इनके घोंसले तेज हवा और पानी की वजह से टूट भी जाते हैं । इन्हें फिर से अपना घोंसला बनाना होता है ।

बरसात में ये पक्षी मस्ती भी करते हैं । गौरैया , मैना , मोर और अन्य ढेरों पक्षी हैं जो पानी में खूब अठखेलियां करते हैं ।

एक मजे की बात यह है कि बाज या गरुड़ ( ईगल ) बारिश से बचने के लिए बादलों के ऊपर बहुत ऊंचाई तक चले जाते हैं 

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