Skin Problems in hindi: त्वचा शरीर का आवरण है । यह शरीर के आंतरिक अंगों को बाहरी संसार से अलग करती है । संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया और वायरस से रक्षा करती है । शरीर के तापमान को नियंत्रित रखती है
मगर कई बार उम्र बढ़ने , खराब जीवनशैली और मौसम में तब्दीली के कारण भी यह अपना आकर्षण खोती है ।
त्वचा की समस्याएं के लिए आंतरिक और बाहरी , दोनों कारक जिम्मेदार हैं । उम्र बढ़ने के कारण शरीर नमी को रोक नहीं पाता तथा इलास्टिन और नई कोशिकाओं का उत्पादन कम हो जाता है , इससे त्वचा कठोर होने लगती है
इसके अलावा धूम्रपान करने , तेज धूप या ठंड में घूमने , तनाव लेने और व्यायामन करने से त्वचा भी बीमार पड़ सकती है ।
त्वचा के प्रकार | Types of Skin
सामान्य त्वचा :
यह न तो तैलीय होती है , न शुष्क । मगर देखभाल न की जाए तो इस पर जल्दी ही झुर्रियां और उम्र की निशानियां झलकने लगती हैं ।
तैलीय त्वचा :
इसमें तेल ग्रंथियां सक्रिय होती हैं , जिससे तिल , मुहांसे औरफुसियां निकलने लगती हैं । इसकी नियमित सफाई करें ताकि रोमछिद्र खुले रहें ।
शुष्क त्वचाः
शुष्क त्वचा को ठंडी और सूखी हवाओं से बचाने की आवश्यकता होती है । इसे नमरखने के लिए सही तरीके से मॉयस्चराइजिंगकी जानी चाहिए ।
मिश्रित त्वचा :
इसमें कुछ हिस्सा तैलीय होता है । जैसे- माथा , नाक वठोड़ी तथा बाकी भागशुष्क होता है । ऐसे में हर हिस्से की अलग देखभाल करनी होती है । इसे धूल , मिट्टी और सूखी हवाओं से बचाएं ।
संवेदनशील त्वचा :
यह शुष्क या तैलीय हो सकती है लेकिन इस पर मौसम का प्रभाव जल्दी पड़ता है ।
त्वचा की प्रमुख समस्याएं | Skin Problems in hindi
मुहांसे:
मुहांसे किसी भी उम्र में हो सकते है लेकिन किशोरावस्था में ये सममस्य अधिक होती ही क्युकी हार्मोन स्तर में बदलावों के कारण तेल ग्रंथियां अधिक आयल का उत्त्पादन करती है जो चेहरे के फॉलिकल को ब्लॉक कर देता है।
इनसे बचने के लिए त्वचा की सही देखभाल करे अच्छी कंपनी के प्रोडक्ट इस्तेमाल करे और कॉस्मेटिक कम इस्तेमाल करे।
पिग्मेंटेशन:
त्वचा की रंगत एक सामान न रहना, होठो का रंग गहरा होना, चेहरे, हाथ-पैर, छाती या सरीर के अन्य अंगो पर काले या गहरे धब्बे पिग्मेंटेशन कहलाता है।
दरअसल त्वचा का रंग मेलेनिन नामक पदार्थ से निर्धारित होता है। धुप, खासकर उल्ट्रावॉयलेट किरणों के कारण त्वचा में मेलेनिन का निर्माण गड़बड़ा जाता है।
इसके अलावा गर्भावस्था या मेनोपॉज में हार्मोन असंतुलन, गर्भ नरोधक गोलियो के सेवन और तनाव के कारण भी ये त्वचा की समस्याएं होती है। महिलाओ में ये समस्या अधिक होती है।
इससे बचने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं। इनमे फोलिक एसिड की मात्रा अचिक होती है। गर्भ नरोधक गोलियों के बजाय परिवरणोयोजन के अन्य तरीके इस्तेमाल करे। धुप में सनस्क्रीन लगाएं और सरीर को अच्छी तरह ढककर बहार निकले।
Skin Problems in hindi
डार्क सर्कल:
डार्क सर्कल को चिकित्सकीय भाषा में पेरिअरबिटल हिपर पिगमेंटेशन कहते है एलर्जी, अस्थमा, किडनी और लिवर सम्बन्धी समस्याएं भी डार्क सर्कल का कारण बनती है।
सरीर में पोषक तत्वों की कमी, विषेशकर विटामिन के और पानी की कमी, तनाव, थकन, अनिद्रा और उम्र बढ़ने के साथ भी डार्क सर्कल होते है।
इनसे बचने के लिए सन्तुलित भोजन खाएं जिसमे विटामिन K और आयरन हो। जैसे, ह्री पत्तेदार सब्जियाँ, फलियां, और मांसाहारी भोजन।
समय पर सोएं-जागे। सूर्य की किरणों से आँखों को बचाये, धुप में सनग्लास लगाएं, भरपूर पानी पियें, और डॉक्टर की सलाह से विटामिन सप्लीमेंट्स ले सकते है।
झुर्रियां:
उम्र बढ़ने के साथ नै कोशिकाओं का उत्पादन कम होता है और त्वचा का लचीलापन ख़तम हो जाता है , जिससे झुर्रियां होने लगती है।
जो लोग धूम्रपान करते है और एक्सरसाइज नहीं करते , उनकी त्वचा पर उम्र का ज्यादा प्रभाव दीखता है। धूम्रपान करने वाले की त्वचा पर तुलनात्मक रूप से 40% अधिक झुर्रियां पड़ती है।
धुप में निकलते हुए सनग्लास लगाई , फल और सब्जियां का सेवन करें, इनमे एंटीऑक्सीडेंट होते है जो फ्री रेडिकल्स से लड़ते है मॉइस्चराइसिंग नियमित लगाई।
स्किन एलर्जी | Skin Problems in hindi
ब्यूटी प्रोडक्ट्स में मौजूद केमिकल के कारण एलर्जिक रिएक्शन होते है। इससे त्वचा पर रैसेज हो सकते हैं। वह लाल हो सकती है फफोले हो सकते है।
इसमें इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है एलर्जेन त्वचा की आंतरिक परत के समारक में आता है जिससे त्वच पर रैसेज होते है। खुसबू और प्रिजर्वेटिव हानिकारक होते है इसलिए फ्रेग्रेन्स फ्री, उत्त्पाद खरीदें।
साबुन, आई मेकउप, शैम्पू, मॉइस्चराइसर, लिपिस्टिक और नेल पोलिश से भी एलर्जी होती है। हेयर डाई में अमोनियम परसल्फेट जैसे रसायन होते है।
हाथो की त्वचा होती है प्रभावित:
व्यक्ति दिन भर में 5-6 बार तक साबुन और पानी से हाथ धोता है जिससे त्वचा की प्राकृतिक नमी खो जाती है और वह रुखड़ी हो जाती है। सर्दियों में दस्ताने पहने। सोने से पहले मॉइस्चराइज़र लगाएं। बाहर निकलने पर हाथो पर सनस्क्रीन लगाएं।
सर्दियों में त्वचा के रूखेपन से कैसे बचें
सर्दिओ के मौसम में त्वचा का रूखापन एक समस्य बन जाती है। रूखी त्वचा के अनेक कारण हो सकते है , लेकिन मौसम में बदलाव उनमे सबसे प्रमुख है।
सर्दियों में तापमान कम होने से कोशिकाएं सिकुड़ जाती है और त्वच का प्राकृतिक तेल, जो गर्मियों में पसीने के साथ निकलथ है , सर्दियों में नहीं निकल पाता। इससे त्वचा का रूखापन बाद जाता है और खुजली हो जाती है।
धुप सेकने और गर्म पानी से नहाने से यह समस्या बढ़ जाती है इससे बचने के लिए नहाने के तुरंत बाद जब त्वचा हलकी नम हो तभी मॉइस्चराइजर लगा लें , ताकि उसमे मौजूद आयल त्वचा में ट्रैप हो जाए। दूध, हरी पत्तेदार सब्ज्जिया, ताजे रसीले फल , सूखे मेवों का सेवन करें। इससे त्वचा मुलायम और चमकदार बानी रहेगी।
NOTE :– उम्र बढ़ने के साथ , खासकर चेहरे की त्वचा अपना आकर्षण खोने लगती है । इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन बदलते मौसम में भी त्वचा की समस्याएं बढ़ सकती है । इसलिए मौसम में बदलाव के साथ हमे त्वचा की भी अतिरिक्त देखभाल करने की जरूरत होती है । इस बारे में विशेषज्ञों से कर महत्वपूर्ण जानकारी दे रही है
यह भी पढ़ें।
* शलगम के फायदे | Turnip(Shalgam) ke fayde in Hindi
* चाय पीने के फायदे | Benefits of tea in Hindi
* साइकिल चलाने के फायदे | Cycle chalane ke fayde in Hind