Teachers Day Speech in Hindi: शिक्षकों को समाज का शिल्पकार इसलिए भी कहा जाता है क्योकि वह बच्चों को समाज में रहना सिखाते हैं । जो शिक्षा बच्चे स्कूल में सीखते हैं उसे ही वह अपने व्यवहारिक जीवन में अमल करते है
शिक्षक दिवस कब मनाया जाता है | Teachers Day Kab Manaya jata hai
भारत में पांच सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है | Teachers Day Kyu manaya jata hai
Teachers Day Speech in Hindi
बहुत से लोगो का ये प्रश्न होता है की शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है? तो आईये जानते है इसके बारे में सभी बातें।
शिक्षकों के प्रति सहयोग को बढ़ावा देने और भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षकों के महत्व के प्रति जागरुकता लाने के मकसद से इसकी शुरूआत की गई थी ।
कहते हैं कि शिक्षक उस मोमबत्ती की तरह होता है जो खुद जलकर दूसरों को प्रकाश देती है । भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर से भी श्रेष्ठ बताया गया है क्योंकि ईश्वर तक पहुंचने का या उसे पाने का मार्ग गुरु ही बताया गया है ।
आज यदि हम यह कहते हैं कि समाज में शिक्षकों के प्रति सम्मान घटा है तो हमें इसके कारणों की भी पड़ताल करनी होगी । जहाँ शिक्षकों ने अपने कार्य के प्रति समर्पण कम किया है
वहीं उनके प्रति सम्मान में कमी आई है लेकिन जो शिक्षक आज भी विद्यादान के प्रति समर्पित है उन्हें अपने विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों से सम्मान मिल रहा है ।
शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को भी आत्मविश्लेषण करना चाहिए । अगर आज समाज शिक्षकों का सम्मान कम हुआ है तो इसके लिए कुछ हद तक जिम्मेदार शिक्षक भी हैं ।
छात्र , शिक्षक का सम्मान करते हैं या नहीं , यह इस बात पर निर्भर करता है कि शिक्षक के साथ किसी छात्र का अनुभव कैसा है । यदि शिक्षक छात्रों के मनोभावों को समझे और उनके स्तर पर जाकर उन कुछ सिखाने या इज्जत और प्यार मिलता है ।
शिक्षकों को चाहिए कि वे ‘ शिक्षक शब्द समझाने की कोशिश करे , तो उसे भी अपने विद्यार्थियों से बहुत के साथ जुड़ी गरिमा और उत्तरदायित्व को समझें और छात्र को केवल पाठ ना पढ़ाएं , बल्कि उसे जीने का सलीका सिखाएँ ।
आज के बच्चे सेलिब्रेशन पर ज्यादा ध्यान देते हैं , उनके लिए शिक्षक दिवस एक कार्यक्रम की तरह है । फिर भी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आज भी विद्यार्थियों के मन में अपने शिक्षक के प्रति सम्मान है ।
यदि शिक्षक अपने विद्यार्थियों से दिल से जुड़े हों तो बदले में उन्हें अपने विद्यार्थियों से भी बेहद प्यार और सम्मान मिलता है ।
इसलिए यह समझना चाहिए कि शिक्षक दिवस सेलिब्रेशन या एक कार्यक्रम दिवस नहीं शिक्षक सम्मान दिवस के तौर पर मनाया जाता है ।
संस्कृत में एक बहुत ही मशहूर कहावत है
मातृ देवो भवः ।। पितृ देवो भवः ।। आचार्य देवो भवः ।।
अथांत , माता – पिता और आचार्य भगवान के समान होते हैं । माता पिता हमें पैदा करते हैं और जीना सिखाते हैं , लेकिन हमें समाज के लायक बनाने में सबसे बड़ा हाथ हमारे शिक्षकों का है इसीलिए भारत में शिक्षक को भगवान माना जाता है ।
भारतीय समाज में शिक्षकों को प्राचीन काल से ही सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है । गुरू के कथन पर अपनी जान को भी न्यौछावर करने की कई कथाएं हमारी संस्कृति में शामिल हैं ।
एकलव्य ने अपने गुरू के कहने पर अपना अंगूठा दान कर दिया था तो वहीं श्रीराम जी व श्री कृष्ण जी के युग में भी गुरुकुल प्रणाली का वर्णन मिलता है । गुरुकुल में रहते हुए श्री कृष्ण जी , सुदामा आदि अपने साथियों के साथ जंगल से लकड़ियां बीन लाते ।
अपने गुरु व गुरु – मां के लिए भोजन तैयार करके खिलाते , उनकी टांगें दबाते , उनके सोने के बाद ही खुद सोते तथा गुरुकुल की मर्यादा का तन मन से पालन करते थे ।
श्रीराम चंद्र जी सतर्कता से पहरा देते , जब उनके गुरु जी तपस्या या यज्ञ आदि में बैठे होते कि राक्षस वृति के लोग उनकी तपस्या में विघ्न न डालें ।
डॉ . सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन और शिक्षक दिवस 5 सितम्बर हमारे देश के महान दार्शनिक एवम शिक्षक तथा प्रथम उप राष्ट्रपति और फिर देश के राष्ट्रपति रह चुके डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के शुभ अवसर पर मनाया जाता है
वैसे तो भारत में पुरातन समय से ही गुरु के सम्मान का दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में मनता रहा है । गुरु का स्थान देवता से भी ऊपर माना गया है ।
सही गलत की पहचान कराने वाला गुरु ही होता है । शिक्षक और पत्रकार समाज के दो मजबूत स्तभ होते हैं , धन कमाने की लालसा अगर इन पर चढ़ जाए तो समाज को सही दिशा देना मुश्किल काम है ।
डॉ . सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि शिक्षक उन्हीं लोगों को बनना चाहिए जो सर्वाधिक योग्य व बुद्धिमान हों उनका स्पष्ट कहना था कि जब तक शिक्षक शिक्षा के प्रति समर्पित और प्रतिबद्ध नहीं होता है और शिक्षा को एक मिशन नहीं मानता , तब तक अच्छी शिक्षा की कल्पना नहीं की जा सकती है ।
उनके सिर्फ शिक्षक बन जाने से सम्मान नहीं होता , सम्मान अर्जित करना महत्वपूर्ण है । तो आइये । हम ये संकल्प लें कि एक शिक्षक कि गरिमा हमेशा बनाके रखेंगे । हमारे व्यवहार को देख बच्चे स्वयं प्रभावित होंगे । हमारा आचरण ही उनको बहुत कुछ सिखाएगा ।
Conclussion
उम्मीद है आपको हमारी ये पोस्ट Teachers Day Speech in Hindi पसंद आयी होगी इस पोस्ट में हमने टीचर्स डे पर एक स्पीच (Teachers Day Speech in Hindi) दी है जिसमे टीचर्स डे के बारे में पूरी जानकारी है अगर आपको हमारी ये पोस्ट Teachers Day Speech in Hindi पसंद आये तो इसे शेयर और कमेंट जरूर करने
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