योगासन से बढ़ाएं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता | Yogasan ke Fayde

Yogasan ke Fayde: आधुनिक जीवनशैली ने हमारे आहार, विहार , आचरण को जिस तरह प्रभावित किया है , उसका असर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी पड़ा है । इस कारण लोग सर्दी , जुकाम , खांसी , बुखार , सिरदर्द आदि समस्याओं से अकसर परेशान दिखते हैं ।

ऐसे में सेहत को बेहतर बनाने के लिए पोषक आहार लेने के साथ – साथ योगासन करना भी जरूरी होता है । किन – किन यौगिक क्रियाओं का अभ्यास कर आप अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर कर सकते है।

कुछ ऐसे योगासन जिससे आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते है | Yogasan ke Fayde

धनुरासन

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धनुरासन पेट के बल लेटकर पीछे से से दाएं पैर के टखने को दाएं हाथ से तथा बाएं पैर के टखने को बाएं हाथ से पकड़ें ।

गहरा श्वास भरते हुए आगे से फिर छाती और कंधों को तथा पीछे से दोनों पैरों और जांघों को ऊपर उठाएं । पैरों को आकाश की दिशा में ले जाएं और सांस को सामान्य छोड़ दें ।

एक मिनट से शुरू करते हुए 3 से 5 मिनट तक इस आसन को करने का अभ्यास करें । आसन में ध्यान नाभि केंद्र पर रखते हैं ।

पश्चिमोत्तानासन

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पश्चिमोत्तानासन समतल जमीन पर बैठे । दोनों पैर सीधे रखते हुए कमर सीधी रखें । गहरी सांस भरते हुए दोनों हाथों को एक साथ ऊपर उठाते जाएं ।

श्वास भरते हुए आगे की ओर झुकते हुए पंजों को हाथों से पकड़ लें । जितनी सरलता से आगे की और झुक सके , झुकें और माथे को घुटनों से छूने का प्रयास करें ।

इस स्थिति में दो – तीन मिनट तक रुकें । श्वास सामान्य रखें तथा ध्यान शरीर के खिचाव तथा दबाव पर रखें । जिस तरह आसन आरंभ किया था , उसके विपरीत क्रम से आसन को समाप्त करें ।

सर्वांगासन

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सर्वांगासन पीठ के बल पर दोनों हाथों का सहारा लेते हुए अपने दोनों पैरों तथा कमर को ऊपर की ओर उठाएं ।

इस स्थिति में शरीर का सारा वजन दोनों कंधों , गर्दन तथा सिर पर आ जाएगा और ऊर्जा का प्रवाह सिर की ओर हो जाएगा । इस स्थिति में सिर व गर्दन को सीधा रखें ।

उसे दाएं या बाएं मोड़ने का प्रयास बिल्कुल न करें । 1 मिनट रुकते हुए 3 से 5 मिनट तक इस आसन का अभ्यास करें ।

हलासन

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हलासन । सर्वांगासन की स्थिति में रहते हुए दोनों पैरों को सिर के पीछे जमीन पर सटाने का प्रयास करें ।

शरीर में सबसे अधिक दबाव गर्दन तथा कंधों पर पड़ेगा और खिचाव रीढ़ की हड्डी में अनुभव होगा । थोड़ा – सा दबाव थाइरायड ग्रंथि पर पड़ेगा ।

श्वास की गति सामान्य रखें । इस अवस्था में 3 से 5 मिनट तक रुकने का प्रयास करें । वापस आने के लिए दोनों हाथों को जमीन पर रखते हुए धीरे – धीरे कमर , नितंब तथा दोनों पैरों को सहज भाव से जमीन पर ले आएं ।

5 से 10 बार गर्दन को दाएं से बाएं मोड़ें , ताकि गर्दन में कोई खिंचाव या दबाव न रह जाए ।

प्राणायाम योगासन

कपालभाति

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कपालभाति कमर को सीधा रखते हुए दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा या चिंतन मुद्रा में रखें । धीरे – धीरे श्वास को नाक से बाहर छोड़ने की कोशिश करें

श्वास लेने की आवाज न आए , लेकिन श्वास छोड़ने की आवाज तीव्र गति से आए । जैसे छींकते , ऐसी ही आवाज कपालभाति प्राणायाम करते समय आती है ।

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उज्जाई प्राणायाम

योगासन से बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता

इस प्राणायाम को ध्यान की ओर ले जाने वाला मुख्य द्वार भी कहा जा सकता है । इसमें कंठ की सहायता से नाक से गहरा – लंबा श्वास भीतर लेना है ।

श्वास लेते समय आप कंपन महसूस करेंगे । श्वास को फिर धीरे धीरे नाक से ही छोड़ दें । नए लोगों को इसके अभ्यास में दिक्कत हो सकती है ।

ऐसे लोग प्रारम्भ में विशेषज्ञ की सहायता लें इसके अभ्यास से प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी ।

भस्त्रिका प्राणायाम

Image By Pixabay

इसमें तीव्र गति से श्वास अंदर – बाहर करना है । श्वास अंदर लेते हुए पेट बाहर तथा श्वास छोड़ते समय पेट अंदर रखें । इस प्राणायाम से फेफड़ों की शुद्धि होती है तथा अत्यधिक शक्ति मिलती है और योगासन के फायदे (Yogasan ke Fayde) भी बहुत हैं ।

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