अन्धविश्वास (Andhviswas) के इस विषय में पत्रिका के इस अंक में हम गैबी शक्तियों के समझे जाने वाले एक रूप ‘ काला इल्म ‘ के बारे में चर्चा कर रहे हैं । जो कि वास्तव में कुछ भी नहीं होता अतः इससे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है ।
अन्धविश्वास (Andhviswas) in Hindi
प्राकृतिक प्रवृति को पराजित करने के लिए आधुनिक सोच ने एक ऐसी सूक्ष्म कला का सहारा लिया है , जिसको ‘ जादू ‘ अथवा ‘ काले इल्म ‘ का नाम दिया जाता है ।
जादू टोना और कला इल्म | Jadu Tona or Kala Ilm in Hindi
कुदरती भेदों का केवल बाहरीपन देखकर मनुष्य ने उसकी नकल करके सूक्ष्म कला बहुत ही चतुरताई से साथ हाथ की सफाई द्वारा ) को उत्पन्न किया है । जादू अथवा काला इल्म (kala ilm) किसी प्रकार की कोई रूहानी विद्या द्वारा निपुणता के साथ नहीं चलाया जाता ।
ये केवल कुदरत के भौतिक साधनों को अधिक चतुरता का प्रयोग करके किया जाता है । ये एक ऐसी क्रिया है जिसको साधारण बुद्धि – जीवी अथवा अर्द्ध विकसित बुद्धि इन्सान सरलता से ही जादू अथवा ‘ काले इल्म ‘ का नाम दे देते हैं ।
‘ काले इल्म (Kala Ilm) शब्द का शब्द जोड़ देखें तो बनता है काला ( जिसको साधारण सामाजिक भाषा में खोटा , गलत अथवा बुरा कहा जाता है । ) + इल्म यानि ज्ञान अथवा फार्मूला ) । अर्थात गलत ज्ञान (Andhviswas) ।
इसका शब्दार्थ चाहे ही अनुचित ज्ञान बनता है किन्तु प्रत्येक मनुष्य की अलग – अलग सोच ने इस संबंध में भिन्न – भिन्न परामर्श दे रखा है । ये शब्द काला इल्म (kala ilm)बाहरी तौर पर ( जो साधारण लोगों को दिखाई देता है ) और आंतरिक अवस्था ( वास्तविकता को समझने के लिए एक जादूगर की उदाहरण दी जा रही है ।
काला इल्म क्या होता है | Kala Ilm kya hota hai
एक जादूगर जिसके विषय में साधारण लोगों में ये चर्चा है कि वह काले इल्म का धनी , महान जादूगर अथवा बंगाल के जादू का बादशाह है ।
एक बार उसने यानि काफी संख्या लोगों के हुजूम में एक बड़े मेज के ऊपर एक लड़की को लिटा दिया और उस पर एक कपड़ा डाल दिया , मुंह में कुछ गुनगुनाया और देखते ही देखते वह लड़की मेज से चार – पांच फुट ऊंची बिना किसी सहारे के हवा में उठ गई ।
फिर जादूगर के थोड़ा हाथ लगाकर पीछे हटा लेने से ही वह धीरे – धीरे वापिस मेज के ऊपर आ गई । दो तीन मिनटों के बाद दर्शकों को ऐसा अनुभव हुआ जैसे कपड़े के नीचे लड़की नहीं है , केवल कपड़ा ही मेज के ऊपर रह गया है ।
जादूगर के कहने पर दर्शकों में से एक ने जब कपड़ा उठाया तो सचमुच ही वहां से लड़की अदृश्य हो गई थी । सब हैरान थे कि हमारे देखते ही देखते लड़की कहां गायब हो गई है ।
सबसे अधिक हैरानी की बात यह थी कि वह लड़की दर्शकों में बैठी थी । ऐसा दृश्य देखकर लोगों ने उस जादूगर को किसी बड़ी गैबी शक्ति का धनी करार दे दिया ।
Andhviswas
अधिक रूढ़िवादी तथा साधारण बुद्धि लोग तो उस जादूगर को कुछ और ही मानने लग पड़े और अत्यंत ही भयभीत हो गए । किन्तु दर्शकों में एक ऐसा इन्सान भी उपस्थित था जिसने इस दृश्य की वास्तविकता को गैबी शक्ति मानने से इन्कार किया ।
इस संबंध में पूछताछ की गई । अंत में खोज करने के पर जिस दृश्य को लोग काला इल्म (kala ilm) अथवा जादू कहते थे , उसने उसे वास्तविकता का पता लगा ही लिया । उस इन्सान ने उस दृश्य की आंतरिक वास्तविकता इस प्रकार वर्णन की
जादूगर सबसे प्रथम स्टेज पर आकर काले इल्म के संबंध में बढ़ा – चढ़ाकर बातें करता हुआ दर्शकों पर प्रभाव डालने का प्रयास करता है । स्टेज के पीछे एक बड़े आकार का पर्दा लगा होता है ।
जादूगर के सामने पड़े मेज के ऊपर भी पर्दे के बिल्कुल साथ का ही मेजपोश बिछाया होता है जो कि आगे की ओर से कम लटकता हुआ और पीछे की ओर ( जादूगर की तरफ ) स्टेज के साथ ज्यादा लटका हुआ होता है ।
स्टेज के पीछे पर्दे और मेजपोश को इस ढंग से सैट किया होता है कि जादूगर की ओर लटका हुआ मेजपोश , मेजपोश दिखाई न देकर स्टेज का पिछला पर्दा ही दिखाई देता है ।
जादूगर की एक सहायक लड़की चुपचाप आकर मेज पर सीधी लेट जाती है । फिर जादूगर के दो सहायक एक काले रंग के कपड़े को चारों कोनों से पकड़कर दर्शकों की ओर से स्टेज पर आते हैं
उन्होंने उस कपड़े को ऐसे कोण में पकड़ा होता है कि उस समय दर्शकों को मेज के ऊपर लेटी लड़की दिखाई नहीं देती , अर्थात् कपड़ा आगे आ जाता है ।
इतने समय में ही वह लड़की बड़ी फुर्ती और हुशियारी के साथ जादूगर वाली साइड मेज से नीचे उतर जाती है । फिर अपने कद और शारीरिक बनावट जैसी एक मिलती हुई हाईड्रोजन गैस से भरी गुबारा लड़की मेज के ऊपर रख देती है
फिर लड़की चतुरता से स्टेज का पिछला पर्दा उठाती है और बाहर निकल कर दर्शकों के पीछे की ओर आकर चुपचाप अपने आप को छुपाती हुई उनके बीच में बैठ जाती है ।
अन्धविश्वास(Andhviswas) in Hindi
जादूगर कैसे जादू करते है | Jadugar Kaise Jadu Karte Hain in Hindi
जादूगर के सहायक स्टेज पर रखी हाईड्रोजन गैस से भरी गुबारा लड़की पर उस कपड़े को डाल देते हैं । वह विशेष कपड़ा मेज के ऊपर के फट्टे के लगभग साईज का होता है ।
दर्शकों को इस हाथ की सफाई का पता नहीं चलता और वे समझते हैं कि कपड़े के नीचे लड़की ही है । इस स्थिति में दोनों सहायक दोनों तरफ से कपड़े के चारों कोनों को पकड़कर रखते हैं ।
जादूगर मुंह में कुछ गुनगुना कर मंत्र आदि पढ़ने का आडम्बर करता है । इस समय में वे दोनों सहायक कपड़े को धीरे – धीरे सा ढीला छोड़ते रहते हैं ।
हाईड्रोजन गैसे से युक्त गुबारा लड़की धीरे – धीरे ऊपर उठती है जो स्वाभाविक ही है । सहायक उस समय तक कपड़े को ढीला पकड़ कर रखते हैं जब तक वह गुबारा लड़की चार – पांच फुट ऊंची नहीं उठ जाती ।
4-5 फुट ऊंचा उठ जाने के बाद सहायक कपड़ा टाईट कर लेते हैं । जिसके कारण वह लड़की और ऊपर नहीं जा सकती ।
तेज म्युजिक तथा छोड़ी गई अस्थाई सुगंध का सहारा लेते हुए जादूगर बड़ी चालाकी व होशियारी से अपने हाथ की उंगली के साथ छुपाकर लगाई गई तीखी पिन को लड़की पर चुभो देता है ।
जिस कारण गैस निकलने लगती है । उस समय छोड़ी गई सुगंध के कारण किसी को हाईड्रोजन गैस निकलने की बदबू अनुभव नहीं होती और तेज व ऊंची आवाज में संगीत बजने के कारण गैस निकलने की आवाज भी सुनाई नहीं देती ।
सहायक कपड़े को ढीला छोड़ देते हैं । जैसे – जैसे गैस निकलती जाती है लड़की नीचे आती जाती है । मेज पर आकर कुछ सैकिण्डों में ही सारी गैस निकल जाती है ।
दर्शक हैरान होते हैं कि लड़की कहां अदृश्य हो गई । जादूगर हाथ की सफाई द्वारा कपड़े के नीचे से खाली गुब्बारा भी उठा लेता है । दर्शकों में से कोई एक व्यक्ति कपड़ा उठाता है तो वास्तव में ही वहां कुछ नहीं होता ।
इतने में ही जादूगर दर्शकों के मध्य बैठी लड़की की ओर संकेत करता है और कहता है कि लड़की वह रही । सब हैरान होते हैं कि वह यहां कैसे आ गई है ।
इस प्रकार अधिक लोग काले इल्म का लोहा मानते हुए जादूगर को अपनी धार्मिक भावनाओं के अनुसार पता नहीं क्या – क्या उपाधि दे देते हैं । इसी प्रकार ही एक इन्सान सभी को माचिस खोलकर उस में पड़ी हुई सभी तीलियों को दिखाता है ।
फिर उस डिब्बी को बंद करके मुंह में मंत्र पढ़ने का आडम्बर करता है । डिब्बी फिर खोलकर दिखाता है पर ये क्या , उसमें तो तीलियों के स्थान पर बरफी पड़ी दिखाई देती है ।
सब हैरान होते हैं कि मंत्र पढ़ने से ही तीलियों के स्थान पर बरफी आ गई है । वास्तव में माचिस के आंतरिक भाग जिसमें तीलियां होती हैं उसमें बर्फी भरी होती है और उसके बाहरी भाग पर छः सात तीलियां गूंद से चिपका देता है ।
देखने वालों को ये पता नहीं लगता कि ये आंतरिक भाग है या बाहरी भाग है , बल्कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे डिब्बी पूरी तरह तीलियों से भरी हुई हो । वह इन्सान सर्वप्रथम डिब्बी की पहली साईड खोलकर दिखाता है , जिसमें तीलियां दिखाई देती हैं फिर एक बार बंद करके डिब्बी की दूसरी साइड खोलता है जिसमें बर्फी दिखाई देती है ।
दर्शक देखकर हैरान हो जाते हैं कि तीलियों के स्थान पर बर्फी ने कैसे स्थान ले लिया । पर वे उस इन्सान की चालाकी अथवा हुशियारी को नहीं समझ पाते अपितु इसका कारण किसी जादू मंत्र अथवा काले इल्म को मानते हैं ।
वास्तव में जादू अथवा काला इल्म (kala ilm) नाम की दुनिया में कोई वस्तु नहीं है , चाहे कुछ लोग इस प्रकार की हुशियारी तथा हाथ की सफाई का सहारा लेकर भोली – भाली जनता को खूब लूटते हैं और काले इल्म जैसे शब्दों का प्रयोग करके लोगों के मन अंदर भय उत्पन्न करने का प्रयास करते हैं ।
अधिकतर भोले – भाले लोग सचमुच ही इस प्रकार ही झूठे भय का शिकार हो जाते हैं । कई बार तो वे अपने आप को कोई न कोई मानसिक रोग भी लगा लेते हैं ।
अन्धविश्वास (Andhviswas)अज्ञानता व अनपढ़ता के कारण पिच्छ लग्गू वाले सोच के मालिक ( लोग ) अपनी परिश्रम की कमाई को ऐसे पाखण्डी लोगों में अपने हाथों से लुटाने में भी संकोच नहीं करते ।
Andhviswas
पहली सोचने वाली बात तो यह है कि यदि उनके जादू अथवा काले इल्म में इतनी शक्ति है तो अपने घर में नोटों और मायक पदार्थों के ढेर क्यों नहीं लगा लेते ? और उनको लोगों में बांटकर यश क्यों नहीं लेते फिर वह भोले – भाले लोगों से पैसे लूटने के लिए इतने परिश्रम धोखे और फरेब का सहारा क्यों लेते हैं ? परंतु वास्तव में सत्य यह है कि ऐसा हो ही नहीं सकता ।
सारे ऐसा नहीं करते । यदि कोई जादूगर हाथ की सफाई द्वारा लोगों का मनोरंजन करता भी हो तो साथ – साथ यह भी बता देता है कि ये कोई जादू बल्कि हाथ की सफाई है ।
परंतु फिर भी हमारे देश के काफी पिछड़े लोग विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों के अशिक्षित एवम् रूढिवादी विचारों वाले लोगों पर कई चालाक अथवा चतुर बुद्धि इन्सान ( जो कि कई बार अपने आप को बंगाल का जादूगर तथा कुछ और भी बताते हैं ) हाथ की सफाई से युक्त ट्रिक दिखाकर अपना जादूमयी प्रभाव डालते हुए उनसे अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहते हैं ।
इस अंधविश्वास (Andhviswas) की दलदल से निकालकर उन्हें साफ – निर्मल किया जाता है । काला – इल्म या जादू आदि जैसे शब्दों की असलियत तथा इन बे – मतलबे शब्दों का प्रयोग करके किए जाते साइंस के प्रयोग एवं चतुर चालाकी के कृत्यों को इसलिए उजागर किया जाता है ताकि भोले – भाले लोग इनसे डर कर अपने अंतर में कोई अंध – विश्वासी धारणा को न पाल लें ।
इसलिए उन पाठक गणों से अनुरोध है , जो जादू या काला इल्म (kala ilm) जैसे झूठे और जिनका कोई अस्तित्व भी नहीं होता , उन्हें किसी बड़ी गैबी शक्ति का प्रतीक मानकर उनका अपने मन में भय पाले हुए हैं , कि वे इस तरह के दृश्यों को महज एक कला या उनके हाथ की सफाई या उनकी हुशियारी या चतुराई ही समझें । इसके अतिरिक्त इसमें और होता भी कुछ नहीं है ।
ले रखा अल्लाह , राम , वाहिगुरू , गॉड का नाम ही सबसे ऊंचा व महा पवित्र है । मालिक के नाम के बगैर दुनिया की और कोई भी कला , कोई भी हुनर और कोई चीज सच्ची नहीं है । क्योंकि काला इल्म (kala ilm) , जादू , टोना – टोटका आदि उनका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता । ये सब अन्धविश्वास (Andhviswas) है इनपर ज्यादा बिलकुल ध्यान नहीं देना चाहिए।
Conclusion
इस पोस्ट में हमने अन्धविश्वास (Andhviswas) जादू टोना, कला इल्म, टोटका इन सभी को लेकर लोगो में जो अन्धविश्वास (Andhviswas) है उसके बारे में इस पोस्ट में पूरी डिटेल से बताया है और जादूगर कैसे स्टेज पर जादू करते है ये भी बताया है अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगे तो आप इसे शेयर और कमेंट जरूर करें।
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