बारिश एक खूबसूरत एहसास | About Rainy Season in Hindi

Rainy Season in Hindi: मानसून (Monsoon) को हमारे देश के विकास के सूत्राधार के रूप में जाना जाता है । क्योंकि हमारा देश कृषि प्रधान देश है । यहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर करती है । कृषि उद्योग से ही देश में औद्योगिक विकास संभव है और कृषि उद्योग बारिश के मौसम (Rainy Season in Hindi) पर निर्भर करता है ।

इसलिए हर किसी को मानसून (Monsoon) का बेसब्री से इंतजार रहता है । आम आदमी से लेकर पूरे सरकारी तंत्र तक की नजरें इस पर टिकी रहती है यह मई के अंतिम दिनों हिन्दमहासागर में बनता है और 1-2 जून तक केरल से प्रवेश करता हुआ दक्षिण – पूर्वी भारत का सफर तय करके जून के आखिर या जुलाई के पहले सप्ताह तक उत्तरी भारत में पहुंच जाता है ।

इसका देर से आना और उम्मीद से कम बरसना और हद से अधिक बरसना भी चिंता पैदा कर देता है । बेशक यह आफत बन कर ही बरसे लेकिन इसके बिना भी गुजारा नहीं है । वास्तव में यह अर्थव्यवस्था की रीढ की हड्डी है । इसे लेकर हर कोई उत्साहित रहता है । तो आइये जानिये (Rainy Season in Hindi) बारिश के मौसम के बारे में , कहां से आता है और कब तक रहता है ? मौसम – विज्ञानी कैसे करते हैं इसकी भविष्यवाणी ?

क्या है मानसून | What is Monsoon in Hindi

Rainy Season in Hindi

मानसून (Monsoon) शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के ‘ मौसिम ‘ एवं मलाया के ‘ मौन्सीन ‘ से हुई है , जिसका अर्थ मौसम अथवा ऋतु होता है इस शब्द का प्रयोग प्राचीनकाल में भारत में आने वाले अरबी व्यापारी , अपनी समुद्री यात्राओं के दौरान हवाओं की एक निश्चित दिशा के संदर्भ में करते थे , लेकिन कालांतर में यह शब्द धीरे – धीरे ‘ वर्षा ‘ के पर्यायवाची के रुप में व्यापक तौर पर प्रयोग में किया जाने लगा ।

हमारे देश में ये मानसूनी हवाएं दक्षिण – पश्चिम दिशा से प्रवेश करती है इसलिए इन्हें दक्षिण – पश्चिम मानसून की भी संज्ञा दी जाती है । मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार मानसून ऐसी सामयिक हवाएं हैं , जिनकी दिशाएं साल में दो बार उलट – पलट हो जाती है ।

उत्तर – पूर्व और दक्षिण – पश्चिम में मानसूनी हवाओं की दिशा में बदलाव वैज्ञानिक भाषा में कोरियालिस बल के कारण होता है । यह बल गतिशील पिण्डों पर असर डालता है । हमारी पृथ्वी गतिशील पिण्ड है , जिसकी दो गतियां है । दैनिक गति और वार्षिक गति ।

परिणामस्वरूप उत्तरी गोलार्द्ध में मानसूनी हवाएं दाई और दक्षिणी गोलार्द्ध में बाई ओर मुड़ जाती है वायु की इस गति की खोज पहले फेरल नामक वैज्ञानिक ने की थी । इस कारण इस नियम को ‘ फेरल नियम ‘ कहते है ।

मानसून (Monsoon) का अध्ययन प्राचीनकाल से जारी है । सिकन्दर , अरस्तु वास्कोडिगामा और एडमण्ड हेली समेत कई अनुसंधानकर्ताओं ने मानसूनी हवाओं के बारे में विस्तार से लिखा है ।

मानसून की भविष्यवाणी | Monsoon ki Bhavishyawani

Monsoon

मौसम विभाग मानसून (Monsoon) का पूर्वानुमान करके प्रतिवर्ष इसकी भविष्यवाणी करता है । कई बार यह भविष्वाणी स्टीक बैठती है और कभी – कभी मानसून इसके विपरीत भी रह जाता है । मानसून (Monsoon) की भविष्यवाणी 25 मई तक कर दी जाती है । भविष्यवाणी करते समय भारतीय मौसम विभाग मुख्यतः चार तथ्यों को ध्यान में रखता है ।

Rainy Season In Hindi

इन चार तथ्यों का आंकलन करके ही मानसून (Monsoon) की भविष्य की जाती है । ये तथ्य हैं तापमान , हवा , दबाव और बर्फबारी । भविष्यवाणी के लिए देश के विभिन्न भागों के तापमान का अलग – अलग अवलोकन किया जाता है । इसके लिए जनवरी से मई तक के तापमान का अध्ययन किया जाता है ।

जैसे जनवरी से अप्रैल तक उतरी गोलार्द्ध की सतह का तापमान , मार्च में उत्तर भारत का न्यूनतम तापमान और पूर्वी समुद्र तट का न्यूनतम तापमान और मई में मध्य भारत का न्यूनतम तापमान नोट किया जाता है । इसके अलावा मौसम विज्ञानी हवा का अध्ययन करते हैं ।

इन अलग – अलग महीनों में विज्ञानी छह किलोमीटर से 20 किलोमीटर ऊपर बहने वाली हवा का रुख नोट करते रहते हैं । साथ ही वायुमण्डलीय दबाव का अध्ययन करते हैं । मौसम विज्ञानी बसन्त ऋतु में दक्षिण भाग का दबाव और समुद्री स्तह का दबाव और हिन्दमहासागर के विषुवतीय दबाव मापते हैं ।

इसके बाद बर्फबारी का अध्ययन किया जाता है । बर्फबारी के लिए दिसम्बर में यूरेशियन भाग पर पड़ने वाली बर्फ और जनवरी से मार्च तक हिमालयायी भागों में बर्फ का स्तर नोट किया जाता है । इन सारे तथ्यों के अध्ययन के लिए आंकड़े उपग्रह द्वारा एकत्रित किए जाते हैं ।

इन आंकड़ों के आधार पर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है । इसके बाद भी मौसम में किन्ही प्राकृतिक कारणों से आया बदलाव मानसून की भविष्यवाणी को प्रभावित कर देता है । मानसून का पूर्वानुमान तो हो जाता है , लेकिन मानसून किस भाग में कैसा रहेगा और कब बारिश जमकर होगी , यह दावे से नहीं कहा जा सकता । इसके लिए विज्ञानी एलनीनों का अध्ययन करते हैं ।

यह गहरे समुद्र में घटने वाली एक प्राकृतिक घटना है जो मानसून के ज्यादा बरसने या कम बरसने की भविष्यवाणी के लिए उतरदायी है । यह समुद्री हलचल मानसून को कहीं आफत और कहीं राहत का सबब बना देती है । सूर्य के ताप है कारण जमीन एवं जल के तापमान में भारी अंतर के कारण मानसून की उत्पत्ति होती है भारतीय मौसम विभाग मानसून के अध्ययन के लिए कोई कसर नहीं छोड़ता ।

मानसून के आने और जाने पर उसकी पैनी नजर रहती है । मानसून के आने से पहले उनका मुख्य उद्देश्य इसके उठने के संकेतों को नोट करना होता है और फिर इसकी सक्रिय गतिविधियों को नोट किया जाता है इन आंकड़ों के अध्ययन करने पर उन्हें पता चलता है कि मानसून (Monsoon) के संबंध में उनकी खोज और भविष्वाणी किस हद तक सफल रही है । भारत में मानसून जून के प्रथम सप्ताह से लेकर सितम्बर के मध्य तक रहता है ।

मानसून के प्रकार | Types of Monsoon in Hindi

हमारे भारत देश में प्रतिवर्ष मुख्यतः दो प्रकार को मानसूनी धाराएं प्रवाहित होती है । प्राचीनकाल से ही अरब सागर की और से हवाओं का रुख 6 माह उत्तर से पूर्व और 6 माह दक्षिण से पश्चिम का होता रहा है । इसी आधार पर इन दो प्रकार की मानसूनी धाराओं को क्रमशः ‘ शीतकालीन ‘ अथवा पूर्वोत्तर – मानसून और ‘ ग्रीष्मकालीन ‘ अथवा दक्षिण – पश्चिमी मानसून कहा जाता है ।

23 सितम्बर के बाद सूर्य की स्थिति दक्षिणायन होने लगती और वह 24 सितम्बर से मकर रेखा पर लम्बवत चमकता है । जिससे सर्दियों में उत्तरी भारत तथा आसपास का क्षेत्र काफी ठण्डा हो जाता है । इससे यहां वायुदाब बढ़ जाता है ।

Rainy Season in Hindi

जिसे कम करने के लिए हवाएं दक्षिण की ओर चलना प्रारंभ कर देती है । जबकि दक्षिण में फैले हिन्द महासागर एवं प्रशांत महासागर अपेक्षाकृत बहुत गर्म होते है । परिणामस्वरूप यहां कम वायुदाब रहता है वायुदाब की ऐसी स्थिति के कारण इस ऋतु में हवाएं भारतीय उपमहाद्वीप से उत्तर दक्षिण की ओर अर्थात् भारत से हिंद महासागर की ओर चलने लगती है ।

स्थल से चलने वाली इन हवाओं के स्थलीय भाग से चलने के कारण वर्षा नहीं होती है । ग्रीष्म काल में 21 मार्च से सूर्य उत्तरायण होने लगता है । तथा 21 जून से कर्क रेखा पर लंबवत चमकता है तो भारत सहित समस्त तमाम एशिया गर्म हो उठता है ,

जिससे यहां वायुदाब घट जाता है किन्तु ये हवाएं दक्षिण में स्थित हिंद महासागर से भारतीय भू – भाग की ओर चलना शुरू कर देती है । इन पवनों को ‘ ग्रीष्मकालीन मानसून ‘ कहा जाता है । ये हवाएं भारत तथा समीपवर्ती क्षेत्रों में खूब वर्षा का कारण बनती हैं ।

बारिश का मौसम | Rainy Season in Hindi

Rainy Season in Hindi

Image By Pixabay

बारिश (Barish) का इंतजार वैसे तो सबको होता है पर सबसे ज्यादा उसे होता है जिसे बारिश और बारिश का मौसम (Rainy Season in Hindi) दोनों ही पसंद हों । वैसे लगभग हर किसी को बारिश बेहद पसंद होती है । बारिश में भीगना , फुहारों के साथ मस्ती करना , उन फुहारों से खुद को भीगोना , पानी में छप – छप करना , पानी में नाव तैराना ।

वापस आते हैं । बच्चों को सबसे ज्यादा तो तब भीगना अच्छा लगता है , जब स्कूल से घर बारिश में भीगते हुए कहीं भी जाने में हर किसी को बड़ा मजा आता है । बारिश में भुट्टा , पकौड़े , चने आदि चटपटे खाने का अलग ही मजा होता है ।

हर मौसम की बात अलग होती है , पर बात जहां बारिश के मौसम (Rainy Season in Hindi) की हो , वहां तो मजा ही मजा है । बारिश में ही ना जाने कितने फूल – पत्तियां , फल – कलियां उगती होंगी । वैसे एक बागवान या माली बागवानी के लिए बारिश से उत्तम मौसम और कोई नहीं मानता होगा ।

खेत के किसान खेती के लिए इन्द्र देवता से कितनी प्रार्थनायें करते होगें कि हे भगवान , बारिश कर दो । उनकी बारिश से ना जाने कितनी उम्मीदें , आशाएं जुड़ी हुई होती हैं । वो कहते है ना कि आशा से आकाश थमा है । बारिश से न जाने कितने दुःख और सुख जुड़े होंगे ।

कितने ही लोगों को बारिश पसंद होगी और कितनों को नापसंद । कितने ही लोग घर के अंदर बैठकर पकौड़े खाते , चाय की चुस्कियों के साथ बारिश का लुत्फ उठाते हैं और कितने ही लोग बाहर बारिश में भीगते हुए , सैर करते हुए , मस्ती करते हुए , लुत्फ उठाते होंगे ।

सबके बारिश (Barish) के मजे अलग – अलग हैं । छात्र – छात्राओं को स्कूल – कॉलेज जाते समय छाते के साथ जाने में बड़ा मजा आता है । छाते में थोड़ा – बहुत तो भीग जाते हैं , पर जब छाता हवा में उड़ जाये , तब भीगने का सही मायने में मजा आता है ।

जब भी बच्चे भीगकर आते हैं , तो मां – बाप की ना जाने कितनी ही हिदायतें सुनने को मुफ्त में मिल जाती हैं कि बेटा , जल्दी कपड़े बदल लो , ठंड लग जायेगी । जल्दी सिर पोंछो , सर्दी लग जाएगी । जब जब बारिश का मौसम आता है , तब – तब माता – पिता की हिदायतों की पोटली खुल जाती है ।

मां सुनाती है पर भीगने के बाद सुनता कौन है ! जो होना होगा वो तो होगा ही ! बस … , आप इस बारिश (Barish) के मौसम (Rainy Season in Hindi) का लुत्फ उठाएं , मजे कीजिये , खुद को इस मौसम की फुहारों से भिगो दीजिये ऐसा मौसम साल भर में एक बार ही देखने को मिलता है ।

क्योंकि बारिश का मौसम (Rainy Season in Hindi) बच्चे , जवान , बुजुर्ग सभी को पसंद होता है । बारिश (Barish) का सबसे ज्यादा मजा तो स्कूल के बच्चों को आता है , क्योंकि उनके गर्मियों की महीना – भर की छुट्टियां होने के बाद स्कूल शुरू होने पर ही बारिश का मौसम आता है ।

इस (Monsoon) पर बारिश का लुत्फ उठाइये जी भरके । खुशियों से भरा हो आपका बारिश का मौसम और बारिश के हर साथ से आप अपने हर लम्हे को सजाइये।

Conclusion

उम्मीद है आपको हमारी ये पोस्ट मानसून की जानकारी (Rainy Season in Hindi) जरूर पसंद आयी होगी इस पोस्ट में हमने मानसून से जुडी सभी जानकारी दी है की ये भारत में कब आते है ये कितने प्रकार के होते है इसमें हमने बताया है की मानसून (Monsoon) में आने वाली बारिश लोगो को कितनी पसंद होती है

सबसे ज्यादा तो इसमें बच्चे खेलते है यह सभी बातें हमने इस पोस्ट मानसून की जानकारी (Rainy Season in Hindi) में डिटेल में बताई है अगर आपको हमारी ये पोस्ट पसंद आयी हो तो आप इसे शेयर और कमेंट जरूर करें

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