कन्याकुमारी के पर्यटक स्थल और इतिहास | History of Kanyakumari Tourist Place in Hindi

Kanyakumari Tourist Place : भारत का अंतिम छोर तमिलनाडु के कन्याकुमारी को शब्दों में ब्यां कर पाना मुश्किल है । यहां तीन सागरों के संगम के साथ सूर्योदय व सूर्यास्त का अनूठा नजारा देखा जा सकता है ।

यहां से श्रीलंका भी काफी करीब है । हिंद महासागर , बंगाल की खाड़ी और प्रशांत महासागर यानि तीन अलग – अलग रंगों के समुद्र का नजारा इसके अलावा भारत में और कहीं नहीं देखा जा सकता है ।

कन्याकुमारी एक बढ़िया टूरिस्ट स्पॉट है , जहां सभी को उनके टेस्ट के अनुसार कुछ न कुछ जरूर मिलेगा । यहां आप हिल्स , बीच , नदियों वगैरह की प्राकृतिक खूबसूरती के साथ तमिलनाडु के कल्चर , ट्रडिशनंस , आकिर्टेक्चर व कुजीन का भरपूर मजा ले सकते हैं ।

वैसे , पड़ोसी राज्य केरल का भी काफी असर आपको यहां देखने को मिलेगा । यह स्थान एक खाड़ी , एक सागर और एक महासागर का मिलन बिंदु है । यहां आकर हर व्यक्ति को प्रकृति के अनंत स्वरूप के दर्शन होते हैं ।

सागर – त्रय के संगम की वजह से यह स्थान धार्मिक दृष्टि से भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है । इस स्थान को ‘ एलेक्जेंड्रिया ऑफ ईस्ट ‘ की उपमा से विदेशी सैलानियों ने नवाजा है ।

यहां पहुंच कर लगता है मानो पूर्व में सभ्यता की शुरुआत यहीं से हुई होगी । अंग्रेजों ने स्थल को केप कोमोरिन ‘ कहा था ।

तिरुअनंतपुरम के बेहद निकट होने के कारण सामान्यतः समझा जाता है कि यह शहर केरल राज्य में स्थित है , लेकिन कन्याकुमारी वास्तव में तमिलनाडु राज्य का एक ख़ास पर्यटन स्थल (Kanyakumari Tourist Place) है ।

कन्याकुमारी का इतिहास | History of Kanyakumari in Hindi

कन्याकुमारी हमेशा से ही सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहा है । खास तौर से उत्तर , पश्चिम व पूर्वी भारत के लोगों को देश के नक्शे का यह नुकीला सिरा खासा लुभाता है ।

विदेशों से भी बड़ी तादाद में पर्यटक यहां आते हैं । हर साल कन्याकुमारी पहुंचने वाले देसी – विदेशी पर्यटकों की संख्या 20 से 25 लाख के बीच रहती है

और यह गिनती लगातार बढ़ती ही जा रही है । केरल से करीब होने के कारण भी कन्याकुमारी बहुत लोग आते हैं ।

कन्याकुमारी का नाम कैसे पड़ा | Kanyakumari ka naam kaise pada in Hindi

इस तरह पड़ा ‘ कन्याकुमारी ‘ नाम : कन्याकुमारी दक्षिण भारत के महान शासकों चोल , चेर , पांड्य के अधीन रहा है । यहां के स्मारकों पर इन शासकों की छाप स्पष्ट दिखाई देती है ।

प्राचीन काल में भारत पर शासन करने वाले राजा भरत को आठ पुत्री और एक पुत्र था । भरत ने अपना साम्राज्य को नौ बराबर हिस्सों में बांटकर अपनी संतानों को दे दिया ।

दक्षिण का हिस्सा उसकी पुत्री कुमारी को मिला । कुमारी ने दक्षिण भारत के इस हिस्से पर कुशलतापूर्वक शासन किया । कुमारी युद्ध कला में बहुत निपुण थी ।

उसने महादैत्य बानासुरन को मारा था । इससे उसकी लोकप्रियता दूर – दूर तक फैल गई । उसकी यह गौरव गाथा अमिट हो गई और उसके नाम पर ही दक्षिण भारत के इस स्थान को कन्याकुमारी कहा जाता है ।

कन्याकुमारी के पर्यटक स्थल | Kanyakumari tourist place in Hindi

सूर्योदय और सूर्यास्त | Sunrise and Sunset

Kanyakumari Tourist Place

image by Pixabay

कन्याकुमारी अपने सूर्योदय के दृश्य के लिए काफी प्रसिद्ध है । सुबह हर होटल की छत पर पर्यटकों की भारी भीड़ सूरज की अगवानी के लिए जमा हो जाती है

शाम को अरब सागर में डूबते सूरज को देखना भी यादगार होता है । उत्तर की ओर करीब दो – तीन किलोमीटर दूर एक सनसेट प्वाइंट भी है ।

विवेकानंद स्मारक | Vivekananda Smarak

Kanyakumari Tourist Place

image by Pixabay

समुद्र के बीच स्थित इसी जगह पर स्वामी विवेकानंद ने शिकागो धर्म महासभा में जाने से पहले ध्यान लगाया था । तट से सरकार द्वारा चलाई जाने वाली फैरी से बहुत कम किराए में आप यहां जाकर आ सकते है ।

इस स्थान को विवेकानंद रॉक मेमोरियल कमेटी ने 1970 में स्वामी विवेकानंद के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए बनवाया था ।

यहां से समुद्र का शानदार नीला नजारा नजर आता है इसी के पास एक दूसरी चट्टान पर तमिल के संत कवि तिरूवल्लुवर की 133 फुट मूर्ति है । फैरी से यहां भी जाया जा सकता है ।

संग्रहाल | Museum

गांधी स्मारक के सामने राजकीय संग्रहालय है जिसमें इस पूरे क्षेत्र से संकलित पाषाण मूतियों व पुरातात्विक महत्व की अन्य चीजों को प्रदशित किया गया है ।

करीब ही विवेकानंद वांडरिंग मोंक प्रदर्शनी भी देखी जा सकती है । एक लाईट – हाउस भी पर्यटकों को आकर्षित करता है ।

सेंट जेवियर चर्च | ST. Xavier Church

कन्याकुमारी

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माना जाता है कि यीशु के शिष्य सेंट थॉमस इस जगह पर आए थे । फिर 16 वीं सदी में यहां सेंट जेवियर आए जिनकी याद में यह खूबसूरत चर्च बनवाया गया ।

तिरुवल्लुवर प्रतिमा | Statue of Tiruvallur

Kanyakumari Tourist Place

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सागर तट से कुछ दूरी पर मध्य में दो चट्टानें नज़र आती हैं । दक्षिण पूर्व में स्थित इन चट्टानों में से एक चट्टान पर विशाल प्रतिमा पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करती है ।

वह प्रतिमा प्रसिद्ध तमिल संत कवि तिरुवल्लुवर की है । वह आधुनिक मूर्तिशिल्प 5000 शिल्पकारों की मेहनत से बन कर तैयार हुआ था ।

इसकी ऊंचाई 133 फुट है , जो कि तिरुवल्लुवर द्वारा रचित काव्य ग्रंथ तिरुवकुरल के 133 अध्यायों का प्रतीक है ।

कन्याकुमारी के आस पास के पर्यटक स्थल | Kanyakumari Tourist Place

र्कुलर फोर्ट : –

कन्याकुमारी से 6-7 किलोमीटर दूर वट्टाकोटाई किला समुद्र मरतड वर्मा द्वारा बनवाया यानि सर्कुलर फोर्ट है । काफी छोटा और बहुत खूबसूरत यह किला के रास्ते से आने वाले दुश्मनों पर निगाह रखने के लिए राजा गया था । इस किले के ऊपर से वट्टाकोटाई बीच का नजारा काफी खूबसूरत ।

उदयगिरी किला :

कन्याकुमारी से 34 किमी दूर यह किला राजा मरतड वर्मा द्वारा 1729-1758 ई.दौरान बनवाया गया था । इसी किले में राजा के विश्वसनीय यूरोपियन दोस्त जनरल डी लिनोय की समाधि भी है

अहसास – ए – कन्याकुमारी : –

कन्याकुमारी जाएं तो दो – तीन दिन रह कर यहां के मोहक नजारों और कस्बेनुमा माहौल को महसूस करें ।

गलियों में घूमें , स्थानीय लोगों और उनके रहन – सहन को देखें , दक्षिण भारतीय भोजन का आनंद लें और खरीदारी करना चाहें तो शंख , सीप , कौड़ी आदि से बने सस्ते और सुंदर सामान खरीदें ।

यहां से लौटने के बाद यह मलाल न रहे कि काश , थोड़ा वक्त और गुजारा जाता । आखिर इतनी दूर कोई रोज – रोज तो जाता नहीं है ।

पदमानभापुरम महल : –

Kanyakumari Tourist Place

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पदमानभापुरम महल की विशाल हवेलियां त्रावनकोर के राजा द्वारा बनवाई गई हैं । ये हवेलियां अपनी सुंदरता और भव्यता के लिए जानी जाती हैं ।

कन्याकुमारी से इनकी दूरी 45 किमी है । यह महल केरल सरकार के पुरातत्व विभाग के अधीन है ।

कोरटालम झरना –

यह झरना 167 मीटर ऊंचा है । इस झरने के जल को औषधीय गुणों युक्त माना जाता है । यह कन्याकुमारी से 137 किमी दूरी पर स्थित है ।

कब जाएं कन्याकुमारी: –

यहां साल भर गर्मी रहती है , इसलिए कभी भी जाया जा सकता है । बारिशों में यहां का नजारा अलग ही होता है और दिसंबर जनवरी में भी एयरकंडीशन की जरूरत पड़ सकती है ।

कैसे पहुंचें : – देशभर से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है यह शहर वैसे ज्यादातर यात्री यहां से करीब 80 किलोमीटर दूर त्रिवेंद्रम तक सुपरफास्ट गाड़ियों से आकर फिर यहां के लिए ट्रेन , बस या टैक्सी पकड़ते हैं ।।

रेल मार्ग:- कन्याकुमारी रेल मार्ग द्वारा जम्मू , दिल्ली , मुंबई , चेन्नई , मदुरै , तिरुअनंतपुरम , एरनाकुलम से जुड़ा है । दिल्ली से यह यात्रा 60 घंटे , जम्मूतवी से 74 घंटे , मुंबई से 48 घंटे एवं तिरुअनंतपुरम से ढाई घंटे की है ।

बस मार्गः- तिरुअनंतपुरम , चेन्नई , मदुरै , रामेश्वरम आदि शहरों से कन्याकुमारी के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है ।

वायु मार्ग :- कन्याकुमारी का निकटतम हवाई अड्डा तिरुअनंतपुरम में है । वहां के लिए दिल्ली , मुंबई , कोलकाता , चेन्नई से सीधी उड़ाने हैं ।

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