Mahatma Gandhi Essay in Hindi: महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) का नाम पुरे भारत में नहीं जनता ये हमारे देश के राष्ट्र पिता है और लोग इन्हे बापू के नाम से भी जानते है महात्मा गाँधी का हमारे देश को आजादी दिलाने में बहुत अहम् योगदान था और वह स्वंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता भी थे
Mahatma Gandhi Essay in Hindi | महात्मा गाँधी पर निबंध
भारत में आजादी के समय बहुत सारे स्वंत्रता सेनानी थे जिनका हमारे देश को आजादी दिलाने में बहुत बड़ा योगदान था हमारे देश में दो तरह के स्वंत्रता सेनानी थे एक वो थे जो अंग्रेजो द्वारा किये गए जुल्म का जवाब देते है जैसे भगत सिंह, चंद्र शेखर आजाद,और भी बहुत सारे और दूसरे स्वंत्रता सेनानी वो थे जो खून खराबा नहीं चाहते थे जो अहिंसा के रास्ते पर चलते थे जिनमे से एक थे हमारे महात्मा गाँधी वो हमेशा अहिंसा के रस्ते पर ही चलते थे जिन्हे आज हम बापू के नाम से जानते है।
Mahatma Gandhi Essay in Hindi
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ इनका पूरा नाम मोहन दस करमचंद गाँधी था इनके पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गाँधी था महात्मा गाँधी की माता का नाम पुतलीबाई था जो महात्मा गाँधी के पिता की चौथी पत्नी थी गाँधी जी अपनी माता के आखरी संतान थे महात्मा गाँधी को अंग्रेजो के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेता भी चुना गया था और उनको राष्ट्र पिता की उपाधि भी मिली थी
महात्मा गाँधी का परिवार | Mahatma Gandhi Family
गाँधी जी के पिता करमचंद गाँधी राजकोट के दीवान थे और उनकी माता पुतलीबाई बहुत ही धार्मिक थी वह अपना सारा समय घर और मंदिर में ही बिताती थी वह नियमित रूप से उपवास भी रखा करती थी उनका स्वाभाव काफी अच्छा था अगर घर में कोई बीमार हो जाता है तो वह उनकी सेवा में दिन रात लगी रहती थी उनका परिवार जैन धर्म को मानता था जिसका प्रभाव गाँधी जी पर काफी पड़ा जिसका मुख्य सिद्धांत अहिंसा वादी था जिसके कारण गाँधी जी भी अहिंसा वादी थे
महात्मा गाँधी का इतिहास | History of Mahatma Gandhi in Hindi
Mahatma Gandhi Essay in Hindi
गाँधी जी बचपन में ज्यादा सरारती नहीं थे अगर उनसे कोई नादानी हो भी जाती थी तो वह घर आ कर खुद ही माफ़ी मांग लेते थे और अपनी माता से वादा करते थे की वह ये गलती दुबारा नहीं करेंगे और वह अपने वादे पर अटल रहते थे गाँधी जी हमेशा सच्चाई के प्रतीक राजा हरीश चंद्र को अपने आदर्श के रूप में बहुत मानते थे
गाँधी जी एक औसत विद्यार्थी थे हालाँकि उन्होंने कई स्कॉलर्शिप और पुरस्कार भी जीते थे वह पढ़ाई और खेल दोनों में ही तेज नहीं थे लेकिन उन्हें अपने बीमार पिता की सेवा करना, घर में अपनी माँ का घरेलु कामो में हाथ बटाना उसके बाद अगर उन्हें समय मिलता था तो वह दूर तक टहलने चले जाते थे
जब गाँधी जी 13 वर्ष के थे और स्कूल में ही पड़ते थे तभी उनका विवाह पोरबंदर के एक वयापारी की पुत्री कस्तूरबा से कर दिया गया फिर उन्होंने जैसे तैसे 1887 में अपनी मेट्रिक की परीक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से पास की और फिर भाव नगर में स्थित श्यामल दास कॉलेज में अपना दाखिला करवाया। अ
चानक से गुजरती भाषा से अंग्रेजी भाषा में जाने पर उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था और उनके घर वालो को भी उनके भविष्य की चिंता होने लगी थी वैसे अगर उनके भविष्य का निर्णय उन्ही पर छोड़ा जाता तो वह एक डॉक्टर बनना चाहते थे
लेकिन वह वैष्णव परिवार के थे और उसमे चीड़ फाड़ की इजाजत नहीं थी और उनके घरवाले ये चाहते थे की वह कोई राज घराने में एक उच्च पद प्राप्त करके अपनी पारिवारिक परम्परा को आगे बढ़ाय और इस पद को प्राप्त करने के लिए उन्हें बेरिस्टर बनना पड़ेगा और इन्ही कारणों की वजह से उन्हें इंग्लैंड जाना पड़ा।
वैसे भी गाँधी जी का मन श्यामलाल कॉलेज में कोई खास नहीं लग रहा था जिसकी वजह से उन्होंने इंग्लैंड जाना स्वीकार कर लिया फिर वह अपने वकालत की आगे की पढ़ाई को पूरा करने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में गाँधी जी ने अपनी वकालत की शिक्षा को पूरा किया लेकिन उन्हें अपने कुछ कानूनी कार्यो की वजह से साउथ अफ्रीका जाना पड़ा फिर उन्होंने वह जाकर देखा की वह रंग के चलते भेद भाव हो रहा है गोरे लोग काले लोगो पर जुल्म करते थे और उन्होंने उसके खिलाफ आवाज उठाने की सोची
फिर 1994 में जब वह वापिस आये तो उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के तानाशाह को जवाब देने के लिए एक बिखरे समाज को एक जुट करने की सोची इसी दौरान उन्होंने कई तरह के आंदोलन भी करे जिसकी वजह से उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा।
गाँधी जी ने बिहार के चम्पारण जिले में जाकर वहाँ किसानो पर हो रहे अत्याचारों पर भी आवाज उठाई यह आंदोलन उन्होंने अंग्रेजो और जमींदारों से लड़ी थी वह हमेशा से समाज को अहिंसा का ही सहारा लेने को कहते थे क्युकी वो खुद हमेशा से अहिंशा वादी थे
असहयोग आंदोलन | Ashahyog Andolan in Hindi
असहयोग आंदोलन के बारे में तो आपको पता ही होगा 1 अगस्त 1920 को गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी गाँधी जी इस आंदोलन के जरिये भारत में उपनिवेशवाद को समाप्त करना चाहते थे गाँधी जी ने लोगो को यह अपील की थी की कोई भी स्कूल कॉलेज और न्यायलय न जाये और कोई भी कर न चुकाय और पूर्ण रूप से इसका बहिस्कार करे
इस आंदोलन ने अंग्रेजो को हिलाकर रख दिया था यह आंदोलन करीब दो साल चला इस आंदोलन को गाँधी जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में चलाया था ये आंदोलन जलियांवाला बाघ हत्याकांड और अन्य कई घटनाओ के बाद जब गाँधी जी को अंग्रेजो से कोई इंसाफ की उम्मीद नहीं लगी तब ये आंदोलन चलाया गया था ये आंदोलन इसलिए सफल रहा क्युकी इसमें लाखो भारतीयों का प्रोत्साहन था
नमक सत्याग्रह आंदोलन | Namak Satyagrah in Hindi
नमक सत्याग्रह आंदोलन गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से डांडी गांव तक 24 दिन का पैदल मार्च निकाला था गाँधी जी ने यह मार्च ब्रिटिश सर्कार का नमक पर पूर्ण रूप से अधिकार स्थापित करने पर निकाला था
उस समय ब्रिटिश सरकार ने चाय, कपडा और यहाँ तक की नमक तक पर अपना अधिकार जमा रखा था उस समय भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार नहीं था और जो इंग्लैंड से नमक आता था उस पर कई गुना पैसे देने पड़ते थे इस आंदोलन के जरिये गाँधी जी ने नमक बनाकर अंग्रेजो को चुनौती दी और इस आंदोलन को डंडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है।
दलित आंदोलन | Dalit Andolan in Hindi
गाँधी जी ने दलित आंदोलन की शुरुआत की और इस आंदोलन के जरिये उन्होंने दलितों पर हो रहे अत्यचारो का विरोध किया था और और इसी आंदोलन के जरिये उन्होंने छुआछूत जैसे अंधविस्वास पर रोक लगाने के लिए ही इस आंदोलन की शुरुआत 1933 में की थी इस आंदोलन के लिए गाँधी जी ने 21 दिनों का उपवास भी किया था और सभी दलितों को हरिजन का नाम भी इन्होने ही दिया था
भारत छोड़ो आंदोलन | Bharat Chodo Andolan in Hindi
भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त 1942 को गाँधी जी द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में शुरू किया गया था जिसके तहत गाँधी जी ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने के लिए स्पस्टीकरण जारी किया था इस आंदोलन में गाँधी जी ने ग्वालिया टैंक मैदान में एक ऐतिहासिक भाषण दिया था जिसमे उन्होंने “करो या मरो” का नारा दिया था जो अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाता है
इस भारत छोड़ो आंदोलन में भारत छोड़ो का नारा युसूफ मेहरली द्वारा तैयार किया गया था जो एक समाजवादी और यूनियनवादी थे और इन्होने मुंबई के मेयर के रूप में भी काम किया था गाँधी जी ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक बहुत बड़े आंदोलन का एलान कर दिया था जिसकी वजह से गाँधी जी को जेल भी जाना पड़ा था।
अपने इन आंदोलनों के दौरान गाँधी जी कई बार जेल भी गए आखिर में महात्मा गाँधी के नेतृत्व और कई कोशिशों के बाद भारत को 14 अगस्त 1947 को आजादी का सूरज देखने को मिला
गाँधी जी ने भारत को आजादी दिलाने के लिए बहुत सारी कोशिशे की और उसमे सफल भी हुए उन्होंने समाज को अहिंशा का पाठ पढ़ाया और लोगो की गलत सोच का निवारण भी किया उनके इन्ही सभी महान कार्यो की वजह से उन्हें देश के राष्ट्रपिता यानि दा फादर ऑफ़ नेशन की उपाधि दी गई गाँधी जी ने कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और वह देश को अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए हमेशा कोसिस करते रहे
इन्ही वजहों से वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने गाँधी जयंती को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मानाने की घोषणा की थी गाँधी जी के बारे में महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने भी कहा था ‘हजार साल बाद आने वाली नस्लें इस बात पर मुश्किल से विश्वास करेंगी कि हाड-मांस से बना ऐसा कोई इंसान भी धरती पर कभी आया था।
विश्व भर में महात्मा गाँधी एक नाम नहीं थे वो एक शांति और अहिंशा का प्रतीक हैं ऐसे महान व्यक्ति को 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे ने गोली मरकर हत्या कर दी। इस तरह से एक महान आदमी के जीवन का अंत हो गया लेकिन उनके विचारो आज भी समाज में अपनी पकड़ बना राखी है।
conclussion
इस पोस्ट महात्मा गाँधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) में हमने गाँधी जी के बारे में पूरी डिटेल से बताया है हमारी ये पोस्ट गाँधी जी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) खासकर बच्चो के बहुत काम आने वाली है इसमें हमने गाँधी जी पर निबंध करीब 1500 वर्ड्स में लिखा है इसमें हमने गाँधी जी का इतिहास और गाँधी जी द्वारा चले गए आंदोलनों के बारे में विस्तार से बताया है।
अगर आपको हमारी ये पोस्ट गाँधी जी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) पसंद आये या फिर गाँधी जी के बारे में कोई और जानकारी चाहिए तो आप हमें निचे कमेंट कर सकते है और आपको ये पोस्ट अच्छी लगे तो इसे शेयर और कमेंट जरूर करें
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