पालक के फायदे |Palak ke fayde | Spinach in Hindi

Spinach in hindi: हरी पत्तेदार सब्जियां खाने की सलाह हर डॉक्टर द्वारा दी जाती है , क्योंकि हरी सब्जियों में सभी पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में होते हैं । इसलिए पालक(palak) का नाम हरी सब्जियों में सबसे पहले लिया जाता है ।

इसका कारण यह है कि पालक(palak) स्वाद के अलावा स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छी होती है । और ये सबसे अधिक सर्दी के मौसम में आती है ।

वैसे आजकल 12 महीने सभी सब्जियां मिल जाती हैं , लेकिन बरसात में आने वाली पालक में मिट्टी व कीटाणु बहुत होते हैं , इसे इस मौसम में नहीं खाना चाहिए ।

पालक(spinach in hindi) में जो गुण पाए जाते हैं , वे सामान्यतः अन्य शाक – भाजी में नहीं होते । यही कारण है कि पालक स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी , सर्वसुलभ एवं सस्ता है ।

पालक की शुरुआत कहा से हुई ? History of Spinach in Hindi

Spinach in Hindi

पालक (Spinach in Hindi) मूल रुप से पर्शिया ( आधुनिक ईरान ) की उपज है । चीन में यह सातवी शताब्दी में लाया गया । यूरोप के लोगों ने इसे बारहवी सदी में जाना और अमेरिका पहुंचते पहुंचते इसे 1806 का साल लग गया ।

लेकिन इससे बहुत पहले लिखे गए भारत के आयुर्वेदिक ग्रथों में इसका उल्लेख बताता है कि ‘ पालक बहुत समय पहले से भारत में उगाया जाता था और भारतीय औषधि विशेषज्ञ इसके गुणों को जानते थे ।

ऐसा समझा जाता है कि यह भारत से मध्यपूर्व , वहां से चीन , चीन से यूरोप और यूरोप से अमेरिका पहुंचा । चीन में इसे आज भी ‘ ईरानी शाक ‘ के नाम से जाना जाता है । आज चीन पालक उगाने वाले देशों में शीर्ष पर है ।

यहां पर विश्व का 85 प्रतिशत पालक उगाया जाता है । पालक को डिब्बा बंद कर के बेचने का काम सबसे पहले अमेरीका में 1949 में शुरू किया । बर्ड्स आई नामक इस कंपनी ने इस आशय का अपना पहला विज्ञापन लाइफ पत्रिका में दिया था ।

मार्च 2005 में बॉन एपेटिट पत्रिका द्वारा किये एक सर्वेक्षण में 56 प्रतिशत लोगों ने स्वीकारा कि पालक उनकी सबसे प्रिय सब्जी है । यह भारत के प्रायः सभी प्रांतों में बहुलता से सहज प्राप्य है । इसका पौधा लगभग एक से डेढ़ फुट ऊंचा होता है ।

इसके पत्ते चिकने , मांसल व मोटे होते हैं । यह साधारणतः शीत ऋतु में अधिक पैदा होता है , कहीं – कहीं अन्य ऋतुओं में भी इसकी खेती होती है ।

Spinach in Hindi

पालक के पोषक तत्व :

Spinach in Hindi

(Calorie in Spinach in hindi) पालक में कैलोरी 23 , प्रोटीन 2 प्रतिशत , कार्बोहाइड्रेट 29 प्रतिशत , वसा 0.7 प्रतिशत , रेशा 0.6 प्रतिशत , खनिज 0.7 प्रतिशत , सोडियम प्रतिशत , पोटेशियम 15 प्रतिशत , विटामिन ए 187 प्रतिशत , विटामिन सी 46 प्रतिशत , कैल्शियम 9 प्रतिशत , आयरन 15 प्रतिशत , मैग्नीशियम 19 प्रतिशत मौजूद होता है ।

आयुर्वेद में पालक खाने के फायदे | Benefits of Spinach in Hindi

आयुर्वेद में इसे सुपाच्य , कफ कारक , मूत्रल , वातकारक , ठंडा , भारी , दस्तावर , ज्वर का पथ्य , उल्टी और वायुविकार नाशक माना गया है ।

पालक में लौह तत्व की मात्रा अधिक होने के कारण इसको भोजन या रस के रूप में लेने से रक्त में हीमोग्लोबिन की वृद्धि होने लगती है , होता है और मुरझाए हुए चेहरे , बाल व नेत्र पुनः जिससे कुछ ही दिनों में नए रूधिर का निर्माण चमक उठते है ।

शरीर में नया उत्साह , नई शक्ति- किंचित चरपरा , मधुर , पथ्यशीतल , पित्तनाशक करने वालों को शक्ति प्रदान करता है तो मानसिक स्फूर्ति और जोश का संचार होता है । पालक और तृप्तिकारक है ।

पालक शारीरिक परिश्रम करने वालों के लिए भी अमृत तुल्य है । इसमें पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा होने के कारण यह गर्भवती महिलाओं तथा कमजोर व कुपोषण जनित रोगियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।

इसके सेवन से कमजोर व्यक्ति पुन स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर लेता है । ऐसे रोगी जिनका पाचन तंत्र क्षीण है और जो अधिक भारी भोजन का प्रयोग करने में असमर्थ हैं , उन्हें पालक के सेवन से भोजन को पचाने व पाचन तंत्र को शक्ति प्राप्त करने में सहायता मिलती है ।

इसका रस आमाशय व आंतों या उदर के अनेक रोगों में लाभकारी होता ही है , साथ ही साथ अम्ल – पित्त , अजीर्ण , बवासीर , पेट की वायु , कब्ज आदि रोगों पर नियंत्रण भी रहता है ।

पालक खाने के फायदे | Benefits of Spinach in Hindi

Spinach in Hindi

• पीलिया के दौरान रोगी को पालक का रस कच्चे पपीते में मिलाकर दिया जाए तो काफी लाभदायक सिद्ध होता है ।

• लो ब्लड प्रेशर के रोगियों को रोजाना पालक की सब्जी का सेवन करना चाहिए । माना जाता है करता है ।

थायरॉइड में एक प्याला पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरे का चूर्ण मिलाकर समस्याओं व मुंह की बदबू जैसे विकार दूर हो जाते है ।

जिन्हें एनिमिया या रक्त अल्पता की शिकायत हो , उन्हें प्रतिदिन पालक का रस सेवन करने से लाभ होता है । पालक के जूस से कुल्ला करने से दांतों की ( लगभग एक गिलास ) दिन में 3 तीन बार अवश्य लेना चाहिए ।

• दिल से संबंधित बीमारियों से ग्रस्त रोगियों को प्रतिदिन एक कप पालक के जूस के साथ 2 चम्मच शहद मिलाकर लेना चाहिए , ये बड़ा गुणकारी होता है । लौह तत्व मानव शरीर के लिए उपयोगी तथा महत्वपूर्ण व अनिवार्य होता है ।

Spinach in Hindi

लोहे के कारण ही शरीर के रक्त में स्थित रक्ताणुओं में रोग निरोधक क्षमता तथा रक्त में रक्तिमा ( लालपन ) आती है । लोहे की कमी के कारण ही रक्त में रक्ताणुओं की कमी होकर प्रायः पाण्डु रोग उत्पन्न हो जाता है ।

• लौह तत्व की कमी से जो रक्ताल्पता अथवा रक्त में स्थित रक्तकणों की न्यूनता होती है , उसका तात्कालिक प्रभाव मुख पर , विशेषतः ओष्ठ , नासिका , कपोल , कर्ण एवं नेत्रों पर पड़ता है , जिससे मुख की रक्तिमा एवं कांति विलुप्त हो जाती है । कालान्तर में संपूर्ण शरीर भी इस विकृति से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता । .

• लोहे की कमी से शक्ति ह्रास , शरीर निस्तेज होना , उत्साहहीनता , स्फूर्ति का अभाव , आलस्य , दुर्बलता , जठराग्नि की मंदता , अरुचि , यकृत आदि परेशानियां होती हैं । .

• पालक की शाक वायुकारक , शीतल , कफ बढ़ाने वाली , मल का भेदन करने वाली , गुरु ( भारी ) विष्टम्भी ( मलावरोध करने वाली ) मद , श्वास , पित्त , रक्त विकार एवं ज्वर को दूर करने वाली होती है ।

• आयुर्वेद के अनुसार पालक की भाजी सामान्यतः रुचिकर और शीघ्र पचने वाली होती है । इसके बीज मृदु , विरेचक एवं शीतल होते हैं । ये कठिनाई से आने वाली श्वास , यकृत की सूजन और पाण्डु रोग की निवृत्ति हेतु उपयोग में लाए जाते हैं ।

• गर्मी का नजला , सीने और फेफड़े की जलन में भी यह लाभप्रद है । यह पित्त की तेजी को शांत करती है । गर्मी की वजह से होने वाले पीलिया और खांसी में यह बहुत लाभदायक है ।

• पालक का रस लाभदायक है । कच्चे पालक का रस आधा गिलास नित्य पीते रहने से कब्ज नाश होता है ।

• रक्त की कमी संबंधी विकारों में पालक का रस 100 मिली दिन में तीन बार पीने से चेहरे पर लालिमा , शक्ति व स्फूर्ति का संचार होता है । रक्त संचार प्रक्रिया में तेजी आती है और चेहरे के रंग में निखार आता है

• अगर आप अपनी रूखी त्वचा से परेशान है , तो पालक खाएं क्योकि इसमें पानी की मात्रा ज्यादा मुलायम . होती है , जो आपकी त्वचा को नर्म और बनाये रखने में सहायता करती है ।

• पालक फेफड़ों की सड़न को दूर करता है तथा आंतों के रोग व दस्त आदि में भी लाभदायक है

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